जातियों और क्षेत्रवाद को साधने में जुटी बीजेपी , एक सीट से किसे साधेगी कांग्रेस, क्या कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है बरैया का तिरस्कार?

जातियों और क्षेत्रवाद  को साधने में जुटी बीजेपी , एक सीट से किसे साधेगी कांग्रेस, क्या कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है  बरैया का तिरस्कार?
राज्यसभा चुनाव 2022 जातियों और क्षेत्रवाद को साधने में जुटी बीजेपी , एक सीट से किसे साधेगी कांग्रेस, क्या कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है बरैया का तिरस्कार?
हाईलाइट
  • बीजेपी से उमा और आर्य का उच्च सदन में जाना तय !
  • विवेक और बरैया पर असमंजस्य में कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की राजनीति में इस बार तीन राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनावों को लेकर प्रदेश में गहमा गहमी बनी हुई है। एक तरफ चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस के नेता नाराज होकर पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, जिस पर कांग्रेस ने और मंथन करना शुरू कर दिया है। बात अगर बीजेपी की,की जाए तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता राज्यसभा चुनाव के जरिए क्षेत्रवाद और जातिगत समीकरण साधने की जुगत में है।

अभी हाल ही में सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चंबल ग्वालियर संभाग के दोनों केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच संतुलन की राजनीति करते हुए सामान्य और दलित वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। संभावना यहां तक जताई जा रही है कि इस इलाके से एक दलित नेता लाल सिंह आर्य को संघ की ओर से राज्यसभा भेजने की पूरी तैयारी कर ली है, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती की पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात हुई है, जिसके बाद से ये कयास लगाए जाने लगे कि पार्टी उमाभारती को भी उच्च सदन में भेजने का मूड बना चुकी है। बीजेपी का फोकस है कि सूबे से ही किसी स्थानीय नेता को सदन में भेजा जाए जिसका फायदा आगामी चुनावी  2023 में मिल सकें।

कुछ दिन पहले  बीजेपी में भी किसी आदिवासी नेता को उच्च सदन में भेजने की चर्चा जोरों पर दी, लेकिन इससे पहले हुए राज्यसभा चुनावों में बीजेपी ने एक आदिवासी प्रोफेसर को भेजकर इस कोटे को पूरा किया था। अब चर्चा चल रही है गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छ्त्तीसगढ़ और झारखंड में आदिवासी वोट बैंक अधिक होने के कारण बीजेपी किसी आदिवासी नेता को राष्ट्रपति भवन में भेजकर एक इतिहास दर्ज करते हुए आने वाले  चुनावों में लाभ ले सकें।

कांग्रेस की बात की जाए तो  कुछ नेताओं को छोड़कर कांग्रेस पर लगातार स्थानीय नेताओं की अनदेखी का आरोप लगता रहा है। बीजेपी एक तरफ से दलित वोट बैंक पर फोकस कर रही है वहीं कांग्रेस इसके उलट नए युवा चेहरे को पार्टी में पद से नवाज कर आने वाले चुनावों में दलित आदिवासी वोट को  हासिल तो करना चाहती है, लेकिन किसी वरिष्ठ नेता को उच्च सदन में भेजना पसंद करती है या नहीं,  यहीं  बात आने वाले समय में कांग्रेस की सियासी गद्दी का फैसला करेंगी।

पिछले राज्यसभा  चुनावों में  बीजेपी ने कांग्रेस पर दलित नेता फूल सिंह बरैया को जानबूझकर पीछे करने का आरोप लगाया। जो इस समय में भी कांग्रेस पर बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा कर रही  है। हालांकि बीजेपी की तरह कांग्रेस में नामों को लेकर भगदड़ नहीं मची है। सूत्रों से मिली जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यसभा चुनावों में अधिक रूचि नहीं ले रहे है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि अभी हाल ही में पूर्व सीएम सिंह के गुट के कई नेताओं को बड़े पद दे दिए गए हैं। बात अगर महिला कांग्रेस अध्यक्ष की जाए या फिर नेता प्रतिपक्ष की, खबरों के मुताबिक ये दोनों पद दिग्विजय सिंह खेमे की झोली में गए थे।

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान ने कमलनाथ को राज्यसभा चुनावों में फ्री हैंड दे दिया है, जिसे वो 2023 के चुनावों के चलते इस्तेमाल करना चाहते है। जबकि कुछ पॉलिटिकल विश्लेषकों का मानना है कि पिछले चुनावों में जिस नेता की कांग्रेस पर अनदेखी का आरोप लगा था, अगर कांग्रेस दोबारा भी वहीं गलती  दोहराती है तो इसका परिणाम आने वाले चुनावों में ठीक आए ऐसा कहा नहीं जा सकता। इसके पीछे की वजह ये बताई जाती है कि एक दलित नेता बरैया को  मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के इलाके दतिया जिले की भीतरवार सीट से सौ से कम वोटों से हरा दिया था इस हार पर कांग्रेस के दलित नेताओं के साथ दलित वोटरों का मानना था कि अगर पूरी कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ती तो ये सीट आसानी से निकाली जा सकती थी। मिली जानकारी के मुताबिक बरैया को एक बड़ा दलित नेता माना जाता है जिन्होंने बसपा में रहते हुए बसपा संस्थापक काशीराम के साथ काम बूथ स्तर तक काम किया है, जिसके चलते एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के वोटरों पर बरैया की पकड़ मानी जाती रही है। लेकिन कांग्रेस  का इस नेता बार बार तिरस्कार करना पार्टी को मुश्किल में डाल सकता है। 

दलित की अनदेखी के साथ ये माना जा रहा है कांग्रेस एक बार फिर विवेक तन्खा को उच्च सदन में भेज सकती है, इसके पीछे की वजह कांग्रेस की तरफ कोई वरिष्ठ वकील फिर से सदन में पहुंचे और कांग्रेस से इस्तीफा दे चुकें  कपिल सिब्बल की भरपाई को पूरी कर पाएं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह और अरूण यादव भी उच्च सदन पहुंचने की दौड़ में शामिल है। 

Created On :   25 May 2022 5:45 PM IST

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