'कप्तानी' के विवाद में घिरा रहा पंजाब, छाई रही सिदधू चन्नी की जुगलबंदी और कैप्टन का गठबंधन

Punjab engulfed in controversy over captaincy, Sidhu Channis jugalbandi and captains alliance
'कप्तानी' के विवाद में घिरा रहा पंजाब, छाई रही सिदधू चन्नी की जुगलबंदी और कैप्टन का गठबंधन
अलविदा 2021 'कप्तानी' के विवाद में घिरा रहा पंजाब, छाई रही सिदधू चन्नी की जुगलबंदी और कैप्टन का गठबंधन

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। साल 2021 करीब-करीब खत्म होने वाला है। ये साल राजनीतिक तौर काफी उथल-पुथल वाला रहा। खासकर, अगर हम बात करें पंजाब की राजनीति पर। बता दें कि पंजाब कांग्रेस की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच आपसी विवाद चर्चा का विषय बना रहा। पंजाब की पूरी राजनीति इस साल इसी के इर्द-गिर्द चलती रही। आइए जानते हैं इन सभी घटनाक्रम के बारे में।

सिद्धू की नाराजगी

आपको बता दें कि 2017 में कांग्रेस पार्टी पंजाब में सत्ता में आयी और सिद्धू कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। कुछ ही महीनों के बाद उन्होंने अमृतसर के मेयर के चुनाव पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि अमृतसर नगर निगम के सदस्यों की मेयर चुनने वाली मीटिंग में आमंत्रित नहीं किए जाने से सिद्धू नाराज हो गए थे, नगर निगम उनके मंत्रालय के अधीन ही आता था। सिद्धू ने इसके बाद केबल नेटवर्कों पर मनोरंजन कर और रेत के खनन के लिए कार्पोरेशन बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे खारिज कर दिया गया था।

अप्रैल, 2018 में गुरनाम सिंह की मौत का 1988 वाला मामला एक बार फिर अदालत में पहुंचा। पंजाब सरकार की ओर से सिद्धू के खिलाफ हलफनामा दाखिल किया गया। 2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में बदलाव करते हुए सिद्धू का मंत्रिमंडल बदल दिया, इसके विरोध में सिद्धू ने पदभार ग्रहण किए बिना इस्तीफा दे दिया था। ऐसा माना जाता है कि विवाद की जड़ कैप्टन और सिद्धू में यहीं से शुरू हुई था।
 
कैप्टन का पद छोड़ना और सिद्धू के खिलाफ बयान

आपको बता दें कि पंजाब कांग्रेस में सिद्धू और कैप्टन के बीच जो उठापटक का दौर चल रहा था। उसी का इतिश्री करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी कप्तानी छोड़ दी थी।कैप्टन अपनी पत्नी परनीत कौर, सांसद गुरजीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू, एजी अतुल नंदा, सीएम के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार और बेटे रणइंदर सिंह के साथ पंजाब राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। माना जा रहा था कि सिद्धू को कहीं ना कहीं हाईकमान का पूरा साथ मिला था और सिद्धू की ही बात मानी गई थी।

बैटिंग की पिच पर सिद्धू गेंद को बाउंड्री के बाहर फेंकने में कामयाब हुए थे। बता दें कि कैप्टन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर यह साफ कर दिया था कि वे सिद्धू और आलाकमान के सामने झुकने वाले नहीं है। इस्तीफे के साथ ही उन्होंने सिद्धू को डिजास्टर (आपदा) करार दिया था। कैप्टन सिद्धू पर हमला बोलते हुए कहा था कि सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाने का वे विरोध करेंगे, क्योंकि उनकी पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ दोस्ती है।

सिद्धू को पद मिलना लेकिन सीएम पद से चूकना

गौरतलब है कि नवजोत सिद्धू को जुलाई माह में ही पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। सिद्धू के बगावती तेवर को देखते हुए आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर से सीएम पद से इस्तीफा लेकर चन्नी को सीएम बना दिया। सिद्धू सीएम बनते-बनते रह गए थे। माना जा रहा था कि सियासी गणित को साधते हुए आलाकमान ने सिद्धू को पंजाब का सीएम नहीं बनाया जबकि पहला दलित सीएम चन्नी को बना दिया गया था। हालांकि सिद्धू का ये गुस्सा तब दिखाई दिया जब चरणजीत सिंह चन्नी मंत्रिमंडल के सदस्यों को विभागों के बंटवारा हुआ था और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया था।

दरअसल, सिद्धू अपने करीबी मंत्रियों को मनमाफिक विभाग दिलाना चाहते थे लेकिन जब उन्होंने कैप्टन समर्थक मंत्रियों के हैवीवेट विभाग देखे तो वे बिफर पड़े। जैसे ही सिद्धू के पार्टी प्रधान पद से इस्तीफे की खबर वायरल हुई, उनके समर्थकों के इस्तीफे की भी खबर चल पड़ी। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया था। 

चन्नी बनें सीएम

पंजाब में चले सियासी ड्रामे का अंत चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम की कुर्सी देने के साथ हुआ। 55 साल में पहली बार किसी दलित चेहरे को सीएम बनाना कांग्रेस का साहसिक कदम माना जा रहा था। पंजाब में लगभग एक तिहाई आबादी दलितों की है और कांग्रेस के इस कदम को दलितों के वोट बैंक को प्रभावित करने की बढ़िया राजनीतिक पहल देखा गया था। 

सिद्धू और चन्नी में तनातनी

मुख्यमंत्री बनने के बाद डीजीपी की तैनाती को लेकर चन्नी व सिद्धू के बीच पेंच फंसा था। चन्नी अंदरखाते 1988 बैच के आईपीएल इकबाल प्रीत सिंह सहोता को डीजीपी लगाना चाहते थे, लेकिन सिद्धू का जोर वरिष्‍ठता में सहोता से वरिष्ठ 1986 बैच के आईपीएस सिद्धार्थ चटोपाध्याय को डीजीपी बनाने पर था। चटोपाध्याय ने ड्रग्स के मामले को लेकर हाईकोर्ट में पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा व मौजूदा डीजीपी दिनकर गुप्ता तथा एक अन्य आइपीएस की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी सील बंद रिपोर्ट सौंपी थी, जो आजतक नहीं खुल पाई है। अगर यह रिपोर्ट खुलती तो पुलिस महकमे के कई आला अधिकारी व मंत्रियों की सांठगांठ का पर्दाफाश हो सकता था।

चटोपाध्याय इसके बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के निशाने पर रहे थे। हालांकि बाद में सिद्धू के मनमुताबिक ही हुआ और  सिद्धू के कथित दबाव के चलते भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को राज्य का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया। चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने का आदेश भी जारी किया गया कर दिया गया।

अमरिंदर की नई पार्टी

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नई राजनीतिक पार्टी "पंजाब लोक कांग्रेस" का गठन किया। तथा अमरिंदर सिंह ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि समय आने पर हम सभी 117 सीटों पर लड़ेंगे, चाहे उन्हें गठबंधन का सहारा लेना पड़े या अपने दम पर लेकिन राज्य के सभी सीटों पर चुनाव लड़ना है। पार्टी के चुनाव चिन्ह के बारे में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग ने तीन चुनाव चिन्ह दिए थे, जिनमें से एक का चुनाव किया जाना था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने तीन अलग-अलग प्रतीकों को भी जमा किया है और अंतिम चुनाव चिह्न छह प्रतीकों के सेट से चुना जाएगा, तीन चुनाव आयोग द्वारा सुझाए गए और तीन पार्टी द्वारा प्रस्तावित किए जाएंगे।

बीजेपी से गठबंधन

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर दिया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के पंजाब प्रभारी गजेंद्र शेखावत से मिलने पहुंचे थे। इस मुलाकात के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब लोक कांग्रेस और बीजेपी के बीच गठबंधन पर सहमति बन गई है। दोनों राजनीतिक दलों के बीच सीट बंटवारे पर फैसला जल्द हो सकता है।

Created On :   23 Dec 2021 12:39 AM IST

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