इन तीन राज्यों में कांग्रेस में बढ़ रही कलह, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक दूसरे से भिड़े कांग्रेस नेता, डैमेज कंट्रोल के लिए क्या करेगा आलाकमान!
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कांग्रेस की कलह किसी से छिपी नहीं है। पार्टी के भीतर की असमन्वय की स्थिति बैठे बिठाए विरोधियों को मुद्दा दे देती है। जिससे उस पर आसानी से हमला कर सके। दरअसल, इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसमें कांग्रेस पार्टी अच्छा प्रदर्शन करने का दम भर रही है। इस साल 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश और राजस्थान के भी चुनाव होने वाले हैं। लेकिन पार्टी की स्थिति इन दो राज्यों में जमीनी स्तर पर तो मजबूत दिख रही है, लेकिन पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। इसके अलावा महाराष्ट्र कांग्रेस में भी कुछ खास एकजुटता नहीं देखी जा रही है। यहां भी कांग्रेस में सिर फुटौव्वल जारी है। आइए बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी इन तीनों राज्यों में किस स्थिति के साथ गुजर रही है। पार्टी को किन हालातों से गुजरना पड़ रहा है।
हाईकमान करेंगी सुलह कराने की कोशिश
सबसे पहले राजस्थान की बात करते हैं। साल 2018 में कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी को मात देकर सरकार में आई थी और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनाए गए थे। लेकिन डिप्टी सीएम बने सचिन पायलट को यह रास नहीं आया और उन्होंने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। साल 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बची थी। जिसका पूरा जिम्मा सचिन पायलट पर अशोक गहलोत ने डाल दिया था। दरअसल, सचिन पायलट ने अपने साथी विधायकों के साथ सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, और पायलट समर्थक विधायकों ने मांग की थी कि सचिन को राजस्थान का सीएम बनाया जाए। हालांकि, पार्टी हाईकमान ने इस पूरे मामले को संभाल तो लिया लेकिन आज भी दोनों नेताओं मे टीका टिप्पणी होती रहती है।
कब दिखेंगे साथ में सचिन और गहलोत?
हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की तुलना कोरोना से की थी। जिसके जवाब में सचिन ने भी उन्हें संभल कर बाते करने की हिदायत दी थी। पार्टी हाईकमान दोनों नेताओं में चल रहे ढाई साल के विवाद को अभी तक नहीं सुलझा पाया है। बता दें कि, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हाल ही में राजस्थान से होकर गुजरी थी। लेकिन इस यात्रा के बावजूद उनकी पार्टी में अभी भी बिखराव नजर आ रहा है। राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों से वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की थी। लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अगर पार्टी को एक बार फिर राजस्थान की सत्ता को पाना है तो आंतरिक कलह को खत्म करके दोनों नेताओं के गुट को एक साथ आना होगा।
चुनाव से पहले कांग्रेस में फूटे बगावती सुर
मध्य प्रदेश विधानसभा का भी चुनाव सिर पर है। भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने-अपने स्तर पर चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। प्रदेश कांग्रेस में सिर फुटौव्वल होता हुआ दिखा रहा है। पद के लिए एक नेता दुसरे नेता पर टिका टिप्पणी करने से परहेज नहीं कर रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी ने 50 उपाध्यक्षों और 150 महासचिवों के साथ लिस्ट जारी की थी। पदाधिकारियों की सूची जारी होने के बाद से ही पार्टी के अंदर गहमा-गहमी शुरू हो गई है। इसके इतर अब तो प्रदेश की सीएम पद के लिए भी नेता अपने-अपने दावे कर रहे हैं।
कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद पर बवाल
पिछले दिनों कांग्रेस ने हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा का शुभारंभ किया। जिसकी जानकारी ट्विटर पर दी गई थी। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भावी सीएम पद के लिए दावेदार बताया गया था। जिसके बाद से प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण यादव ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कांग्रेस में चुनाव से पहले सीएम पद की घोषणा करने की परंपरा नहीं हैं। चुनाव हो जाने के बाद हाईकमान मुख्यमंत्री पद के लिए नाम आगे करता है। कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद अलग-अलग नेताओं की भी प्रतिक्रिया आने लगी थी। वहीं अरूण यादव के इस बयान के आने के बाद पार्टी के दिग्गज नेता अजय सिंह ने भी इसे सही ठहराया था।
ताबुत में आखिरी कील?
बता दें कि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं की बुरी तरह से हार मिली थी। जिसके बाद से पार्टी ने उन्हें साइड लाइन करना शुरू कर दिया था हालांकि, दोनों नेताओं को साल 2019 के लोकसभा चुनाव मे टिकट भी मिला लेकिन पिछली बार की तरह ही इस बार भी नतीजा ना ही रहा और एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब दोनों नेता एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं और अपने समर्थकों के बूते कांग्रेस में हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस पूरे मसले पर बीजेपी नेता और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम ने कहा कि कमलनाथ इस कोरोना से कैसे बचेंगे। ये चुनाव कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।
नाना पटोले पर शिवसेना ने भी कसा तंज
महाराष्ट्र में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही दुश्वार है। नंबर चार पर पहुंच चुकी कांग्रेस टूटती हुई नजर आ रही है। पहले राज्य में कांग्रेस का ही सिक्का चलता था। लेकिन आज पार्टी के अंदर सिर फुटौव्वल जमकर हो रहा है। हाल ही में कांग्रेस के नेता बाला साहेब थोराट और कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के बीच विवाद बढ़ा था। जिसकी वजह से बाला साहेब थोराट ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। जिसका समर्थन उद्धव गुट की शिवसेना ने भी किया था। शिवसेना ने अपने सामना में लिखा था कि नाना पटोले की वजह से ही राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई थी। इसके अलावा सामना में थोराट की जमकर तारीफ की गई थी।
पार्टी में बने चार गुट
बता दें कि, महाराष्ट्र की कांग्रेस चार गुटों में बंटी हुई है। पहला अशोक चव्हाण गुट, दूसरा पृथ्वीराज चव्हाण गुट, तीसरा बाला साहेब थोराट गुट और चौथा नाना पटोले गुट है। यह चारों एक ही पार्टी के होने के बावजूद भी अपनी-अपनी अलग गुट लेकर चल रहे हैं। दरअसल, पार्टी के नेता नाना पटोले के नेतृत्व से निराश हैं क्योंकि साल 2021 में नाना पटोले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें तुरंत अहम जिम्मेदारियां सौंप दी थी। लेकिन ये बाकी नेताओं को रास नहीं आया और कांग्रेस के नेता पार्टी हाईकमान पर सवाल उठाते रहते हैं कि बाहरी लोगों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। जो नेता सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं उनकी किसी तरह की पूछ ही नहीं है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपनी स्थिति को सुधारना है तो पार्टी हाईकमान को आना पड़ेगा। अगर पार्टी में चल रही गुटबाजी को खत्म नहीं किया गया तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। सभी को एकजुट करके पार्टी चलती है तो चुनाव में अच्छा परिणाम देखने को उसे मिल सकता है।
Created On :   10 Feb 2023 11:30 AM GMT