सीताराम केसरी थे कांग्रेस के आखिरी गैर गांधी अध्यक्ष जिन्हें मिली थी शर्मनाक विदाई! नेमप्लेट निकालकर फेंकी, धोती खींची और बाथरूम में भी किया बंद, इस तरह हुई थी अध्यक्ष पद से विदाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए इस सप्ताह के पहले दिन सोमवार को वोटिंग हुई थी। जिसके परिणाम आज आने वाले हैं। चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस को करीब 24 साल बाद गांधी परिवार से इतर कोई अध्यक्ष मिलने वाला है। इससे पहले कांग्रेस के आखिरी गैर कांग्रेसी अध्यक्ष को भारी बेइज्जती के साथ अध्यक्ष पद से हटाया था।
ये थे अंतिम गैर गांधी परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष
बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष बने थे। उन्होंने इस पद पर साल 1996 से 1998 तक कार्य किया था। हालांकि कहा जाता है कि उनको हटाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने सारी हदें पार कर दी थी। देश के स्वतंत्रता संग्राम में महज 13 साल की उम्र में हिस्सा लेने वाले सीताराम केसरी ने कई बार जेल की भी हवा खाई। साल 1973 में बिहार कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे और वर्ष 1980 में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने थे। आगे चलकर कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा टिकट दिया जिसके बाद 1967 में कटिहार लोकसभा सीट जीतकर संसद पहुंचे थे।
इसके बाद केसरी 1971 से 2000 तक पांच बार राज्य सभा सांसद चुने गए थे। गांधी विचारधारा के कट्टर समर्थक रहे सीताराम केसरी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी व नरसिम्हा सरकार में मंत्री पद पर भी रहे। फिर भी इतने लंबे राजनीतिक करियर का अनुभव व पार्टी के साथ काम करने के बाद भी उन्हें इस तरह से हटाया गया था, जिसके बारे में आज भी सुनकर लोग हैरान रह जाते हैं। कहा जाता है कि सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए उनके साथ काफी खराब बर्ताव किया गया और अपमानित कर अध्यक्ष पद छीन लिया गया था।
सीताराम केसरी के खिलाफ ऐसे बनाया गया था माहौल
कांग्रेस पार्टी की ओर से मन बना लिया गया था कि अब सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाएगा। उस वक्त बिहार के कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी के पास ही अध्यक्ष पद था। तब पार्टी में उनके खिलाफ माहौल बनाना शुरू हो चुका था। हुआ यूं कि 12वीं लोकसभा में कांग्रेस को पूरे देश में महज 142 सीटें ही मिली थीं। खास बात यह थी कि इस चुनाव में सोनिया गांधी ने करीब 150 रैलियों को संबोधित किया था। कांग्रेस अपनी पारंपरिक अमेठी सीट भी हार गई थी। इसी बीच कांग्रेस के एक गुट ने सीताराम केसरी के सिर पर ही हार का ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया था। जबकि सीताराम केसरी ने एक भी रैली को संबोधित तक नहीं किया था। उन पर आरोप लगने लगे कि कमजोर नेतृत्व के कारण ही सोनिया गांधी को चुनाव में बड़ा झटका लगा है और सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। माना जाता है कि यहीं से कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए चाल चलनी शुरू कर दी। सोनिया को भड़काना शुरू कर दिए और बताया जाने लगा कि पार्टी में हार की मुख्य वजह सीताराम केसरी ही हैं।
केसरी पर लगे आरोप!
पार्टी के अंदर ये मैसेज दिया जाने लगा कि सीताराम केसरी अंग्रेजी नहीं जानते हैं, इसलिए दक्षिण भारत के नेता उनसे बात नहीं कर पाते। जिसकी वजह से उन्हें लोग अपना नेता मानना पसंद भी नहीं करते हैं। इसके अलावा केसरी पर ये भी आरोप लगे कि उन्हें ब्राह्मण, राजपूत व भूमिहर जैसे नेता पार्टी में खास तवज्जो नहीं देते हैं। यहां तक कि ये भी कहा जाने लगा कि उच्च जाति से आने वाले नेता सीताराम केसरी को बहुत हल्के में लेते हैं क्योंकि वो पिछड़ी जाति से आते हैं। सीताराम केसरी पर आरोपों का सिलसिला चलता रहा इसी बीच एक और गंभीर आरोप लगा कि समाजवादी विचारधारा को मानने वाले लालू प्रसाद यादव, कांशी राम और मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं के साथ गठबंधन करने की फिराक में थे। जबकि कांग्रेस पार्टी के कई नेता इसके खिलाफ थे।
कुल मिलाकर सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए कांग्रेस के एक गुट ने आरोपों की बौछार लगा दी। जिसके बाद सोनिया गांधी के दिमाग में आने लगा कि केसरी पार्टी को बड़ी नुकसान पहुंचा सकते हैं और पार्टी इससे कमजोर हो सकती है। उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार शरद पवार, एके एंटेनी और प्रणब मुखर्जी भी सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाना चाहते थे। यहां तक की मीडिया में खबरें आई की मुंबई के बड़े कारोबारियों ने साफ कह दिया है कि अगर सीताराम केसरी अध्यक्ष पद पर बने रहते हैं तो वे चुनाव में पार्टी को समर्थन नहीं करेंगे। सीताराम केसरी के लिए यही मुद्दा पद से हटने के लिए काफी था और उन्हें हटाने के लिए कई कांग्रेसी नेताओं ने फाइल बनानी भी शुरू कर दी।
अंतिम गैर-गांधी अध्यक्ष को हटाने के लिए सारी हदें पार
सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए खुद पार्टी ने जो हथकंडा अपनाया था। आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उनके साथ बदसलूकी की गई, यहां तक उनकी धोती तक खोलने का प्रयास किया गया था। ऐेसे राजनेता की बेइज्जती सुनकर आज भी लोगों का रूह कांप उठता है। 14 मार्च 1998 का दिन लोगों के स्मृतियों में है, जब कांग्रेस के नेताओं ने सीताराम केसरी को बुरी तरह बेइज्जत किया और उन्हें अध्यक्ष पद से हटने के लिए मजबूर किया था। पार्टी की ओर से 5 मार्च 1998 कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई गई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि सोनिया गांधी पार्टी के कार्यों में ज्यादा सक्रिए रहें और संसदीय दल का नेता चुनने में मदद करें। उस समय संसदीय दल के नेता का कार्यभार सीताराम केसरी के पास ही था। प्रणव मुखर्जी ने पार्टी के कानून में बड़ा बदलाव कराया दिया था कि पार्टी का नेता संसदीय दल का नेता बन सकता है। चाहे वह राज्यसभा या लोकसभा सदस्य हो या न हो।
पार्टी में अपने खिलाफ चल रहे गतिविधियों को देखते हुए सीताराम केसरी ने अध्यक्ष पद से 9 मार्च 1998 को इस्तीफा दे दिया था लेकिन कुछ मिनट बाद ही मन बदला और कहा कि उनकी मंशा है कि अब वह इस्तीफा नहीं देंगे। फिर सीताराम केसरी ने तय किया एआईसीसी की आम सभा में कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी से त्यागपत्र दे देंगे। इसके बाद ही 14 मार्च 1998 को सीडब्ल्यूसी से करीब 13 नेता प्रणब मुखर्जी के घर पर इकट्ठे हुए और सीडब्ल्यूसी की बैठक में केसरी के इस्तीफे की मांग रख दी। फिर 11 बजे करीब सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई।
केसरी की नेमप्लेट निकालकर फेंकी
इसी समय प्रणब मुखर्जी ने सीताराम केसरी के पार्टी हित में किए गए कार्यों के लिए बधाई दी और कहा कि सोनिया गांधी अब अध्यक्ष पद संभालें। इसना सुनते ही सीताराम केसरी नाराज हो गए। फिर केवल आठ मिनट के अंदर ही केसरी ने बैठक स्थगित कर दी और उसी हॉल से सटे अपने दफ्तर चले गए थे। हालांकि, मनमोहन सिंह के साथ कई अन्य कांग्रेसी नेता उन्हें मनाने पहुंचे लेकिन वह माने नहीं और दोबारा बैठक में भी नहीं आए। इसके बाद पार्टी उपाध्यक्ष ने बैठक की अध्यक्षता की और औपचारिक रूप से सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। उसके तुरंत बाद सीताराम केसरी का नेम प्लेट को निकालकर फेंक दिया गया। कांग्रेस के इस बेइज्जती के बाद सीताराम केसरी 24 अकबर रोड छोड़कर जा रहे थे कि तभी कांग्रेस यूथ के कार्यकर्ताओं ने उनकी धोती खोलने की भी कोशिश की थी। सीताराम केसरी गैर-गांधी परिवार से एकमात्र ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष रहे, जिन्हें भारी बगावत व बेइज्जती के साथ पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
पीएम मोदी ने बनाया था चुनावी मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद की रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि देश को पता है कि पीड़ित शोषित व वंचित समाज से आने वाले सीताराम केसरी को कांग्रेस ने कैसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। उनके साथ कैसा बर्ताव किया गया था, ये किसी से भी छिपा नहीं है। कैसे उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया गया था, दरवाजे से हटाकर उन्हें बाहर फुटपाथ पर फेंक दिया गया था फिर सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद पर बैठा दिया गया था। यह इतिहास हिंदुस्तान भली-भांति जानता है। पीएम मोदी ने आगे कहा था कि देश के प्रतिष्ठित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ कांग्रेस के इस व्यवहार से कार्यकर्ता काफी नाखुश थे।
Created On :   22 Sept 2022 6:57 PM GMT