सदस्यता जाने के बाद बूमरेंग की तरह वापसी करने में माहिर है गांधी परिवार, इंदिरा गांधी थीं इसकी मिसाल, क्या राहुल गांधी भी कर सकेंगे जबरदस्त वापसी?
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता "मोदी सरनेम" की वजह से रद्द हो गई है। जिसकी वजह से राहुल गांधी खूब सुर्खियों में बने हुए हैं। गांधी परिवार में यह पहली बार किसी की सदस्यता नहीं गई हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी जनता पार्टी के कार्यकाल में अपनी सदस्यता से हाथ धोनी पड़ी थी। हालांकि, इंदिरा गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद बड़ी ही जोरदार तरीके से वापसी करते हुए जनता दल की सरकार को उखाड़ फेंक एक बार फिर से सत्ता में वापसी की थी। वहीं राहुल गांधी की सदस्यता खत्म होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या राहुल भी अपने दादी के नक्शे कदम पर चलेंगे और क्या बीजेपी को सत्ता में आने से रोक पाएंगे। हालांकि, कांग्रेस पार्टी को सही तरीके से जानने वाले यह भी बताते हैं कि राहुल का यह सफर बड़ा ही कठिन रहने वाला है।
इंदिरा गांधी के नक्शे कदम पर चलेंगे राहुल
इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगा देने पर देश में उनकी सरकार के खिलाफ काफी बगावत हुई। जिसका का खामियाजा उन्हें अगले आम चुनाव में भुगताना पड़ा और ,सत्ता से दूर रहकर संतोष करना पड़ा था। इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा सक्रिय रही वो जनता पार्टी। जनता पार्टी ने आपातकाल के मुद्दे को जोरशोर से उठा कर सत्ता में आई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनाई। इसी सरकार ने इंदिरा गांधी के खिलाफ सदन में एक प्रस्ताव पेश किया। जिसकी वजह से इंदिरा गांधी को अपनी सदस्यता खोनी पड़ी थी।
दरअसल, उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने 100 जीपें खरीदी और उसके लिए कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि अपने चहेते उद्योगपत्तियों से पैसे दिलवाएं थे। इस पूरे मामले में इंदिरा गांधी गिरफ्तार भी हुईं। लेकिन यह गिरफ्तारी उनके लिए संजीवनी साबित हुई थी और कभी उनके खिलाफ विरोध की लहर बनी आंधी अब उनके समर्थन में बहने लगी। जिसका परिणाम उन्हें मध्यवधि चुनाव में देखने को बखूबी मिला और एक बार फिर पहले से और मजबूती से लौटते हुए प्रचंड जीत दर्ज करके प्रधानमंत्री पद के लिए फिर से चुनी गई।
इसके अलावा रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी भी साल 2006 में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अपनी लोकसभा सदस्यता गंवा चुकी हैं। लेकिन इस सीट पर उपचुनाव के दौरान सोनिया ने एक बार फिर जीत हासिल करके सदन का रूख किया था।
राहुल के लिए संजीवनी होगी साबित?
इंदिरा गांधी की इसी लड़ाई को राहुल गांधी से जोड़ कर देखा जा रहा है। राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि राहुल चाहे तो इस मुद्दे को भुना कर जनता के बीच जा सकते हैं। जिससे उन्हें सियासी तौर पर फायदा भी मिलेगा। लेकिन साथ में वो ये भी कहते हैं कि यह सब करना राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि बीजेपी उन्हें हर मोर्चे पर घेरने के लिए प्रतिबद्ध नजर आती है।
जानकारों का मानना यह भी है कि राहुल की सदस्यता रद्द हो जाने पर विपक्षी पार्टियां एकजुट हो सकती है। हाल ही के दिनों में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने को विपक्ष का प्रमुख चेहरा बता चुके हैं। इन मामलों पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होते ही तमाम नेता और दल एक साथ आते हुए दिखाई दे रहे हैं। अगर यही घेराबंदी आगामी लोकसभा चुनाव तक विपक्षी पार्टियां करें तो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
Created On :   24 March 2023 5:48 PM IST