चुनावी घोषणा पत्र में हो बच्चों की भी बात

Children should also be talked about in the election manifesto
चुनावी घोषणा पत्र में हो बच्चों की भी बात
मध्यप्रदेश चुनावी घोषणा पत्र में हो बच्चों की भी बात
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  • मध्यप्रदेश: चुनावी घोषणा पत्र में हो बच्चों की भी बात

डिजिटल डेस्क, भोपाल। बच्चे वोट देने की हकदार नहीं है, यही कारण है कि राजनीतिक दलों की नजर में इनकी ज्यादा अहमियत नहीं होती, मगर इनकी समस्याएं ज्यादा होने के साथ बड़ी होती हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में चुनावी घोषणा पत्रों में बच्चों से जुड़े मुददों को भी शामिल करने की आवाज उठ रही है। मध्यप्रदेश में पंचायतों के साथ नगरीय निकाय चुनाव भी हो रहे हैं।

पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर हैं तो नगरीय निकाय के चुनाव दलीय आधार पर हो रहे हैं। दोनों ही दलों ने नगरीय निकाय चुनाव में घोषणापत्र जारी करने का ऐलान किया है और इस पर काम भी हो रहा है। इन घोषणा पत्रों में बच्चों और महिलाओं के मुद्दों को भी महत्व दिया जाए इसको लेकर सियासी गलियारे से लेकर बच्चों और महिलाओं के लिए काम कर रही संस्थाओं में मंथन का दौर जारी है।

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के साथ मिलकर बच्चों के मुद्दों पर मध्य प्रदेश में चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी काम करती है। इस संस्था ने बच्चों की समस्याओं को लेकर एक एजेंडा तैयार किया है और राजनीतिक दलों को भेजा है। इस एजेंडे में बच्चों के लिए बजट, हिंसा की समाप्ति, शिक्षा के क्षेत्र में विशेषकर सीखने में हुए नुकसान की भरपाई, पानी और स्वच्छता, पोषण, स्वास्थ्य और टीकाकरण सहित कुल 24 बिंदुओं को शामिल किया गया है।

संस्था की अध्यक्ष और राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने इस एजेंडे को राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को भेजा है, इसमें कहा गया है कि सभी नगर पालिकाएं और पंचायतें अपने बजट का कम से कम 30 फीसदी हिस्सा बच्चों और महिलाओं के लिए जरूरी सामाजिक अधोसंरचना कायम करने के लिए आवंटित करें। इसके साथ ही यह भी तय करें कि बाल विवाह नहीं होंगे और वह बाल विवाह की घटनाओं पर निगरानी भी करेंगे।

कोरोना के कारण बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की चुनौती भी सामने है इसके लिए साथ खड़े रहेंगे। सभी स्कूलों को कम से कम तीन माह तक ब्रिज पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अलावा खुले में शौच से मुक्ति और कचरा निपटान की समुचित व्यवस्था की जाएगी। स्थानीय स्वशासन संस्थाएं कुपोषण मुक्ति समुदाय के लिए काम करें और इसके लिए औपचारिक, अनौपचारिक समितियां और समूह को गतिशील कर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाएंगे।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि बच्चे हमारे समाज और देश का भविष्य है। उनकी समस्याओं का निदान भी राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है, कांग्रेस बच्चों को लेकर गंभीर है। यही कारण है कि हमने बाल कांग्रेस का गठन किया है हर जिले स्तर पर इसकी समितियां गठित की गई है और बाल कांग्रेस से सुझाव भी मांगे जा रहे हैं। बच्चों से जुड़ी समस्याएं भी जुटाई जा रही हैं, इन सभी को कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा।

चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी की पहल का भाजपा की प्रवक्ता नेहा बग्गा ने स्वागत करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश की सरकार देश की पहली ऐसी राज्य सरकार है जिसने बच्चों के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया है। इसके साथ ही आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिले इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विशेष अभियान चलाया। जनभागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री खुद हाथ ठेला लेकर बच्चों के लिए खिलौने जुटाने निकले, जिसमें लोगों ने हाथ खोलकर सहयोग किया। एक तरफ जहां सरकार बच्चों पर खास ध्यान दे रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा संगठन भी आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंच रहा है।

आदिवासियों के संगठन जयस के संस्थापक और कांग्रेस के विधायक डॉ हीरालाल अलावा भी इस पहल को उचित करार देते हैं उनका कहना है कि बच्चे हमारे कल का भविष्य है। इन्हें बेहतर सुविधाएं और अधिकार मिलने चाहिए। इस दिशा में राजनीतिक दलों को भी अपने घोषणापत्र में बच्चों और महिलाओं से जुड़े मुद्दे को शामिल करना जरूरी है यह पहल स्वागतेय है।

 

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Created On :   19 Jun 2022 1:31 PM IST

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