बीजेपी विचारधारा से आगे निकलना कांग्रेस के लिए चुनौती, क्या फिर से विवेक तन्खा को ही राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस?

बीजेपी  विचारधारा से  आगे निकलना कांग्रेस के लिए चुनौती,  क्या फिर से विवेक तन्खा को ही राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस?
मध्य प्रदेश बीजेपी विचारधारा से आगे निकलना कांग्रेस के लिए चुनौती, क्या फिर से विवेक तन्खा को ही राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस?
हाईलाइट
  • विवेक नहीं तो कौन?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की राजनीति में राज्यसभा प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी कांग्रेस में चहल पहल शुरू हो गई है। पार्टियों की ओर से प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन जारी है। ऐसे में किस पार्टी से कौन प्रत्याशी होगा नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी जातिगत समीकरण और नेताओं को साधने पर विचार कर रही है। सूत्रों से पता चला है कि ओबीसी और एससी  वोटर को साधने के लिए बीजेपी इस बार ओबीसी वर्ग  से उमा भारती को वहीं एससी वर्ग से संघ की ओर से लाल सिंह आर्य को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। यदि बीजेपी ग्वालियर चंबल रीजन से आर्य को राज्यसभा में भेजती है तो हो सकता है कि कांग्रेस  इसी इलाके के दबंग दलित नेता फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेज दें और अपनी  पुरानी जीत को इस क्षेत्र में फिर दोहरा  सकें। यदि कांग्रेस ऐसा करने में फेल होती है ग्वालियर  चंबल इलाके के साथ साथ सूबे में दलित वोट कांग्रेस से छिटक सकता है जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। तीसरी सीट के लिए बीजेपी किसी आदिवासी चेहरे पर दांव खेल सकती है। बीजेपी के दो सदस्यों का उच्च सदन में पहुंचना तय माना जा रहा है। इससे पहले बीजेपी आदिवासी नेता के तौर पर प्रोफेसर सुमेर सिंह सोलंकी को मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा भेज चुकी है। अब बीजेपी दलित और ओबीसी वर्ग पर फोकस कर रही है।

वहीं कांग्रेस के भीतर से खबर आ रही है कि राहुल गांधी के खास माने जाने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव को राज्यसभा सदस्य का प्रत्याशी घोषित नहीं किया जा सकता है , इसके पीछे की वजह बतायी जा रही है कि सिंतबर तक कांग्रेस को कोई नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा, संभावना जताई जा रही है कि गांधी परिवार के बेहद खास माने जाने वाले  कमलनाथ को ही कांग्रेस मुखिया की बागडोर सौंप सकती है क्योंकि असंतुष्ट जी 20 नेताओं का मनाने में पूर्व सीएम कमलनाथ ही सफल हुए थे।  दूसरी तरफ कुछ नेताओं का मानना है कि यदि सूबे में कांग्रेस एक बार फिर रिटर्न होती है तब कमलनाथ से  प्रदेश अध्यक्ष पद लेकर अरूण यादव को दे दिया जाए, जिससे  प्रदेश में दोबारा कांग्रेस मजबूती के साथ बीजेपी के ओबीसी नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कड़ा मुकाबला कर पाए। वैसे आपको बता दें विरासत में मिली अरूण को राजनीति और सियासत ओबीसी वर्ग और किसान वर्ग के चारों ओर घूमती है। कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में भी अरूण को किसान नेता की हैसियत से ही बुलाया गया है।  इस बुलावे पर  कुछ कांग्रेसी ओर बीजेपी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस बड़े राष्ट्रीय  स्तर पर यादव को किसान नेता के तौर पर उभारना चाहती है। 

इसके अलावा एक नाम विवेक तनखा का भी है जो फिलहाल रेस में आगे बताया जा रहा है। हालांकि कांग्रेस का एक धड़ा उनके विरोध में भी बताया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के सामने ये सवाल भी है कि विवेक तनखा नहीं तो फिर कौन?

बीजेपी की रणनीति  यदि दलित हितैषी बनने की है तो कांग्रेस को भी उस पर चलकर आगे निकलने का प्रयास करना चाहिए। जो वर्चस्व खोती  कांग्रेस के भविष्य के  लिए अच्छा है। दूसरी तरफ कुछ ओबीसी नेताओं का मानना है कि बीजेपी की बढ़ती कट्टर हार्ड हिंदुत्तवादी सोच पर कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व की सोच के साथ साथ अंबेडकरवादी विचारधारा से प्रहार करना आसान हो जाएगा, जो आने वाले चुनाव में पार्टी के पक्ष में फायदेमंद हो सकता है। आने वाले कुछ दिनों में पता चल जाएगा कि कांग्रेस बीजेपी की दलित हितैषी विचारधारा का मुकाबला कैसे करती है, और कर पाती हैं या नहीं

Created On :   14 May 2022 2:44 PM IST

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