अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने राज्य में बसे तिब्बती प्रवासियों की प्रशंसा की

Arunachal CM praises Tibetan diaspora settled in the state
अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने राज्य में बसे तिब्बती प्रवासियों की प्रशंसा की
मुख्यमंत्री पेमा खांडू अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने राज्य में बसे तिब्बती प्रवासियों की प्रशंसा की

डिजिटल डेस्क, ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बुधवार को कहा कि उनके राज्य के लोगों ने अपने पारंपरिक वस्त्र और हथकरघा, भाषा और संस्कृति को जीवित रखने और समृद्ध करना तिब्बत से आकर बसे लागों से सीखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अलग देश में बसने के बावजूद तिब्बतियों ने अपनी समृद्ध बौद्ध संस्कृति, परंपरा और भाषा को संरक्षित करते हुए स्थानीय स्वदेशी समुदायों के साथ अत्यंत सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है।

खांडू ने संभोता तिब्बती स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा, मैंने पूर्वी अरुणाचल में दोनों तिब्बती बस्तियों का दौरा किया है और पाया है कि इन बस्तियों के आसपास के स्वदेशी समुदायों को वास्तव में तिब्बतियों से लाभ हुआ है। पश्चिम कामेंग जिले के कलाकतांग के पास तेनजिंग गैंग में स्थित संभोता तिब्बती स्कूल पूर्व में तिब्बत के लिए केंद्रीय विद्यालय के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना 50 साल पहले 1972 में प्राथमिक विद्यालय के रूप में हुई थी।

मिडिल स्कूल के रूप में आज यह न केवल तिब्बती लागों के बच्चों को, बल्कि आस-पास रहने वाले स्थानीय समुदायों के बच्चों को भी औपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहा है। तेनजिंग गैंग अरुणाचल प्रदेश में तिब्बतियों के लिए तीन आधिकारिक बस्तियों में से एक है, जबकि दो अन्य बस्तियां तेजू (लोहित जिला) और मियाओ (चांगलांग जिला) में हैं। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के छात्रों, पूर्व छात्रों, शिक्षकों और क्षेत्र के निवासियों को स्कूल के शानदार 50 वर्ष पूरा होने पर बधाई देते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और छात्रों का भविष्य उज्‍जवल बनाने के लिए स्कूल प्रबंधन की सराहना की।

उन्होंने कहा, यह वास्तव में 1972 के बाद से संभोता तिब्बती स्कूल की एक अविश्वसनीय यात्रा है। संस्था बहुत अच्छा काम कर रही है, विशेष रूप से लड़कियों, तिब्बती समुदाय और स्थानीय अरुणाचलियों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य के प्रत्येक मूलनिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन कहा कि जिम्मेदारी आज की पीढ़ी के बुजुर्गो, वरिष्ठों और माता-पिता पर अधिक है।

उन्होंने यही संदेश उन तिब्बतियों को दिया, जो आज दुनिया भर में फैले और बसे हुए हैं। दलाई लामा के एक संदेश का उल्लेख करते हुए खांडू ने औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने की बात दोहराई। खांडू ने कहा, मैं दलाई लामा के संदेश को दोहराना चाहूंगा कि हमारा ध्यान अपने बच्चों में करुणा और मानवीय मूल्यों को विकसित करने पर होना चाहिए। और उन्हें हमारे पर्यावरण, जलवायु और हमारे ग्रह के महत्व के बारे में भी सिखाएं।

(आईएएनएस)

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Created On :   20 Oct 2022 12:00 AM IST

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