बीजेपी के लिए बन सकती है अग्निपथ योजना मुसीबत, आजमगढ़ से संगरूर उपचुनाव ने बढ़ाई मुश्किलें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने भले ही अग्निपथ योजना को लाकर आगामी 23 जून को होने वाले लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव को साधने की कोशिश की हो। लेकिन देशभर के कई हिस्सों में हो रहे जबरदस्त विरोध ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गौरतलब है कि 3 लोकसभा और 7 विधानसभा सीटों पर आगामी 23 जून को मतदान होना है। इसी बीच बीजेपी ने अग्निपथ स्कीम को लाकर देश के युवाओं को संदेश देना चाहा था कि सरकार उनके भविष्य का ख्याल रखती है। क्योंकि विपक्ष पहले से ही रोजगार के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है।
हालांकि, बीजेपी को ये दांव अब उल्टा ही पड़ता दिख रहा है। जिन राज्यों में हाल ही में उपचुनाव होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि वहां से काफी तादाद में युवा सेना में जाने की तैयारी कर रहे है। अग्निपथ योजना को लेकर सेना में जाने की तैयारी करने वाले युवा काफी आक्रोशित है, जिसके खिलाफ यूपी, बिहार समेत देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन भी हो रहा है।
यहां तक कि कई ट्रेनों में युवाओं ने प्रदर्शन के दौरान आग लगा दी, जिससे कई ट्रेनें जलकर राख भी हो गई हैं। जानकारों की माने तो आगामी उपचुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। यहां तक कि अग्निपथ योजना को लेकर उपजे विवाद के बाद बीजेपी को उपचुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
संगरूर लोकसभा सीट पर नजर
गौरतलब है कि संगरूर सीट पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथग्रहण के बाद खाली हुई है। यहां पर आगामी 23 जून को उपचुनाव होने वाला है। चुनाव प्रचार यहां पर जोर शोर से चल रहा है। हालांकि इसी बीच केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना ने प्रत्याशियों की मुसीबतें बढ़ा दी है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक रविवार नौजवान भारत सभा समेत कुछ संगठनों के लोग संगरूर से भाजपा प्रत्याशी केवल ढिल्लों के ऑफिस के बाहर पहुंच गए। इन लोगों ने यहां पर विरोध प्रदर्शन किए।
वहीं यहां पर नेताओं की रैलियों और बयानों में भी अग्निपथ योजना का असर दिखने लगा है। उधर, सूबे के सीएम भगवंत मान ने पीएम मोदी से अग्निपथ स्कीम को वापस लेने की अपील की है। वहीं रैलियों में नेताओं के बयानों का असर भी अग्निपथ योजना को लेकर दिखने लगा है। पंजाब में भाजपा के सहयोगी दल पंजाब लोक कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर ने भी अग्निपथ योजना की समीक्षा की मांग की है।
आजमगढ़ और रामपुर सीट पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभी सीट पर 23 जून को चुनाव होना है। इन दिनों यूपी की सियासत में गर्मी बढ़ी हुई है। इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी और सपा की सीधी टक्कर मानी जा रही है। लोगों का कहना है कि इन दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत आसान नहीं दिख रही है। आजमगढ़ सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के छोड़ने के बाद खाली हुई थी। जबकि रामपुर सीट आजमखान के छोड़ने पर खाली हुई। वर्तमान ने सपा के ये दोनों नेता विधायक हैं। इन दोनों ही लोकसभा सीटों पर पहले से ही सपा का कब्जा रहा है।
यूपी की सियासत में अग्निपथ योजना ने बीजेपी की मुश्किलें दोगुनी कर दी है। यूपी के आजमगढ़ और रामपुर में आगामी उपचुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। बताया जाता है कि आजमगढ़ और पूर्वांचल से बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती के लिए तैयारी करते है। केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का यहां के युवाओं ने जमकर विरोध किया है।
युवाओं का कहना है कि इस योजना के तहत चार साल में ही सेवानिवृत्त होने के बाद कहां जाएंगे। हालांकि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उनके भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नही होगा। अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर 23 कर दिया है।
बताया जा रहा है कि दो साल कोरोना के चलते आर्मी भर्ती प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होने के कारण बहुत से न्यूनतम उम्र सीमा पार कर चुके थे। जिसके कारण ये फैसला लिया गया है। हालांकि उपचुनाव में अग्निपथ योजना चुनावी मुद्दा बन चुका है। जिसको भुनाने में अन्य विरोधी पार्टियां पीछे भी नहीं हटने वाली हैं।
लोगों का कहना है कि बीजेपी के लिए ये गेम उल्टा ही पड़ गया है। आजमगढ़ में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव युवाओं को संबोधित करते वक्त इस पर बीजेपी को घेरते हुए नजर आ रहे हैं। वह लोकसभा पहुंचकर इस योजना के विरोध की बातें कह रहे हैं। वहीं बीजेपी प्रत्याशी दिनेशलाल यादव निरहुआ इस योजना को लेकर यह कहते हुए पार्टी का बचाव कर रहे हैं कि पूरी दुनिया में अग्निपथ स्कीम की तारीफ हो रही है। हालांकि आजमगढ़ सीट पर सपा ही बीजेपी को सीधी टक्कर दे रही है। इसी सीट से पिछली बार लोकसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्तमान बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ को भारी मतों से मात दी थी।
Created On :   19 Jun 2022 11:46 PM IST