राजस्थान में सरकार फिर भी घाटे में कांग्रेस, छिन सकती है एक राज्यसभा सीट, जानें क्या बन रहे हैं नए सियासी समीकरण
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव काफी ज्यादा दिलचस्प होती जा रही है। इस वक्त पार्टी में अंदरूनी कलह मुश्किलें खड़ी रही हैं। जब भी चुनाव का वक्त आता है तो कांग्रेस के अंदर अक्सर आपसी घमासान की खबरें आ ही जाती हैं। इन्हीं वजहों से विरोधी पार्टियों को फायदा मिल जाता है। खासकर बीजेपी निर्दलीय और अतिरिक्त उम्मीदवारों के जरिए चुनाव में "बड़ा खेल" करने की जुगत में लग गई है। सबसे दिलचस्प खेल राजस्थान में होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, जिसमें तीन पर कांग्रेस अपना जीत पक्का बता रही है, क्योंकि कांग्रेस 126 विधायकों के समर्थन के साथ आसानी से तीनों सीटों पर जीत के दावे कर रही है। लेकिन बीजेपी उनमें से एक सीट पर सेंध लगाने में जुट गई है।
अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के हाथ से एक सीट छिन सकती है। बीजेपी दांव खेलते हुए कांग्रेस की तरफ से बाहरियों को टिकट मिलने के बाद सुभाष चंद्रा को निर्दलीय समर्थन कर रही है। सुभाष चंद्रा अपने को राजस्थान का बेटा बता रहे हैं। जिससे साफ है कि अबकी बार राजस्थान में बाहरी बनाम स्थानीय का खेला होना तय माना जा रहा है। राजस्थान में अबकी बार कांग्रेस ने बाहरी नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिसकी वजह से पार्टी के अंदर कलज जारी है और स्थानीय नेता भी नाराज हैं। इस बार राजस्थान में राज्यसभा चुनाव जबरदस्त चुनावी अखाड़ा बनाता दिख रहा है।
जानें राज्यसभा चुनाव का सियासी गणित
गौरतलब है कि राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव होना है। राजस्थान में चुनाव की वजह से सियासत में गरमी बढ़ती जा रही है। खासकर कांग्रेस खेमे में सबसे ज्यादा चिंता बढ़ रही है क्योंकि कांग्रेस इन दिनों पार्टी के भीतर कलह से जूझ रही है। राजस्थान में सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। वर्तमान में कांग्रेस के पास 108 विधायकों की संख्या है, जबकि बीजेपी के पास 71 विधायक है।
राज्यसभा उम्मीदवार को जीत के लिए 41 सीटें चाहिए। यानी कि कांग्रेस बड़ी आसानी से 2 सीट और बीजेपी एक सीट पर कब्जा जमा लेगी। अब एक सीट का पेंच फंसेगी। हालांकि कांग्रेस ने राज्यस्थान से तीन उम्मीदवार उतारे हैं। जिसकी वजह से कांग्रेस को अब 41 *3 यानी 126 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। वैसे कांग्रेस कह रही है कि उसके पास 126 विधायकों का समर्थन हासिल है।
बीजेपी ने घनश्याम तिवारी के रूप में सिर्फ एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। उनकी जीत के बाद भी बीजेपी के पास 30 विधायकों के वोट बच जाते हैं। अब असली खेल जी मीडिया के मालिक और बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा के निर्दलीय मैदान में उतरने से है। जिनको बीजेपी का पूरा समर्थन हासिल है। राजस्थान में कांग्रेस लंबे समय से अंतर्कलह से जूझ रही है। गहलोत बनाम पायलट खेमे की जंग चल ही रही है। बीजेपी भी इस असंतोष को तूल देने में पीछे नहीं हट रही है।
उधर, सुभाष चंद्रा अपने को खुद राजस्थान का बेटा बता रहे हैं। जो कि कांग्रेस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। सुभाष चंद्रा का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर में हुआ था। कांग्रेस ने बाहरी नेताओं को उम्मीदवार स्थानीय नेताओं को भी नाराज कर बैठी है। हालांकि इस नाराजगी का प्रभाव कितना होगा, ये राज्यसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा।
राजस्थान में क्यों फंसा चुनावी पेंच?
गौरतलब है कि बीजेपी के पास कुल 71 विधायक है। इससे साफ है कि बीजेपी का एक राज्यसभा सांसद राजस्थान सीट से बनेगा। बीजेपी को अगर एक और उम्मीदवार को जितान है तो बचे 30 विधायकों के बाद बीजेपी को 11 विधायक की और जरूरत पड़ेगी। तभी बीजेपी कांग्रेस के सियासी गणित में सेंध लगा सकती है। बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को अपना सीधा समर्थन दे रही है। अब बीजेपी 11 विधायकों को लाने के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल जैसी छोटी पार्टियों के अलावा निर्दलीय विधायकों पर नजर गढ़ाए हुए हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में 13 निर्दलीय विधायक है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3, सीपीएम और बीटीपी के 2-2 और आरएलडी के पास एक विधायक है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि छोटी पार्टियों के 5 विधायकों समेत राजस्थान के कम से कम 8 विधायक स्टेट बीजेपी के नेताओं के साथ-साथ दिल्ली में बीजेपी हाई कमान के संपर्क में हैं। खबर ये भी है कि निर्दलीय 13 विधायकों में से ज्यादातर बीजेपी के संपर्क में हैं, जो राजस्थान चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को समर्थन दे सकते हैं। बीजेपी इन्हीं वजह से इस बार राज्यसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दे रही है।
कांग्रेस विधायकों को एकजुट करने में जुटी
कांग्रेस विधायकों में अंतर्कलह के कारण बाड़ेबंदी में जुट गई है। जिसकी वजह से पार्टी उन्हें उदयपुर में ताज अरावली रिसोर्ट में ठहराने का इंतजाम कर चुकी है। कांग्रेस के 14 विधायक अभी भी बाड़ेबंदी में नहीं पहुंचे हैं। जो विधायक बाड़ेबंदी में नहीं पहुंचे हैं उनमें परसराम मोरदिया, मुरारी लाल मीणा, राजेंद्र बिधूड़ी, अमीन कागजी, दानिश अबरार, भरत सिंह, प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया, दीपेंद्र सिंह, बाबूलाल बैरवा, वेद प्रकाश सोलंकी, भंवर लाल शर्मा, खिलाड़ी लाल बैरवा, और गिर्राज सिंह मलिंगा हैं। गौरतलब है कि जो विधायक बाड़ेबंदी में नहीं पहुंचे हैं, उनमें तीन मंत्री भी शामिल है।
खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसका जायजा लेंगे। इसके साथ ही बाड़ेबंदी की जिम्मेदारी देख रहे कैबिनेट मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ और विधायक रफीक खान के साथ चर्चा भी करेंगे। जो मंत्री जयपुर में रुके हुए हैं उनमें कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, लाल सिंह कटारिया विश्वेंद्र सिंह और मुरारी लाल मीणा शामिल है। बताया जाता है कि चारों मंत्री जयपुर में ठहरकर सरकार का कामकाज देख रहे हैं। कांग्रेस विपक्षी दल बीजेपी को किसी भी तरह की सेंध लगाने की अवसर नहीं देना चाहती है।
Created On :   4 Jun 2022 1:45 PM GMT