लोकसभा चुनाव 2024: जीरो से मायावती ने लिया सबक,मुसलमानों पर फूटा गुस्सा, बसपा में काम नहीं आया डीएम फैक्टर
- लोकतंत्र, संविधान व देशहित के बारे में सोचना और फैसला करना
- अम्बेडकर के बताए रास्तों पर चलना ही बसपा का मिशनरी धर्म
- अकेले के बलबूते पर बेहत्तर रिज़ल्ट के लिए हर सम्भव प्रयास किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 18 वें लोकसभा के चुनावी नतीजों में बहुजन समाज पार्टी खाता खोलने में असमर्थ रही। उत्तरप्रदेश में बीएसपी जीरो सीट पर सिमटकर रह गई। बीएसपी चीफ मायावती ने चुनावी नतीजों को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं जब बीएसपी जीरो में आई हो, इससे पहले भी 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी यूपी में एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी थी। 2014 के दस साल बाद 2024 में भी बीएसपी को कोई भी सीट नहीं मिली। उत्तर प्रदेश और देश के राजनीतिक परिदृश्य में मायावती की बहुजन समाज पार्टी का पतन इस लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा, बसपा ने देश भर में 424 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें उत्तर प्रदेश की 79 सीटें भी शामिल थीं। इस चुनाव में एकला चलो की नीति पर चले बीएसपी के हाथी ने कोई कमान नहीं किया। 2024 के आम चुनावी नतीजों में राष्ट्रीय स्तर पर बीएसपी का वोट शेयर लगभग 2 प्रतिशत , जो 2019 के वोट शेयर का लगभग आधा है। यूपी में बीएसपी का वोट शेयर घटकर 9.38 प्रतिशत रह गया। यह 2022 के विधानसभा चुनाव के 12.88 प्रतिशत वोट शेयर की तुलना में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है। पार्टी ने केवल एक विधानसभा सीट जीती थी।
बीएसपी की चुनावी सफर
इस बार के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया। मंगलवार के घोषित हुए परिणामों में प्रदेश की 80 सीटों में से एक भी सीट पर बसपा को जीत नहीं मिली। वहीं, भाजपा ने 33, सपा ने 37, कांग्रेस ने 6, रालोद ने 2, आजाद समाज पार्टी ने 1 और अपना दल (एस) ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और आरएलडी के साथ गठबंधन में उतरी बसपा ने 10 सीटें जीती थी।
बहुजन समाज पार्टी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में लोकसभा चुनाव परिणाम पर पार्टी प्रमुख मायावती की प्रतिक्रिया के तौर पर लिखा है कि जैसा कि सर्वविदित है कि देश में 18वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में हुआ आमचुनाव, अब लगभग ढाई महीने के लम्बे समय के बाद, आज चुनाव परिणाम के साथ अपने समापन पर है जबकि हमारी पार्टी चुनाव आयोग से शुरू से ही यह माँग करती रही है कि चुनाव बहुत लम्बा नहीं खिंचना चाहिए, बल्कि आम लोगों के हितों के साथ-साथ, चुनाव ड्यूटी में लगने वाले लाखों सरकारी कर्मचारियों तथा सुरक्षाकर्मियों आदि के व्यापक हित व सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए यह चुनाव अधिक से अधिक तीन या चार चरणों में ही कराया जाना चाहिए था।
लोकतंत्र, संविधान व देशहित के बारे में सोचना और फैसला करना
किन्तु ऐसा न होने पर लोकसभा का यह चुनाव लगभग पूरे समय ख़ासकर ज़ोरदार गर्मी की तपिश से जनजीवन के अस्त-व्यस्त होने के कारण काफी ज्यादा प्रभावित रहा है। विशेषकर गरीब तबकों व अन्य मेहनतकश लोगों के चुनावी उत्साह में भी काफी कुछ फर्क पड़ने के कारण, उम्मीद के विपरीत, वोट प्रतिशत भी काफी प्रभावित हुआ है। जो चिन्ता का प्रमुख कारण बना रहा और यह लगातार मीडिया की सुर्खियों में भी रहा। ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि, लोकतंत्र व आमजन के व्यापक हित के मद्देनज़र, आगे चुनाव कराते समय चुनाव आयोग द्वारा लोगों की इन ख़ास परेशानियों को ज़रूर ध्यान में रखा जाएगा। इसके अलावा, चुनाव के दौरान देश भर में लगभग पूरे समय मंहगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि से त्रस्त लोगों में यह आम चर्चा रही कि यदि चुनाव फ्री एण्ड फेयर हुआ व ईवीएम (EVM) में कोई गड़बड़ी आदि नहीं हुई तो फिर चुनाव परिणाम निश्चय ही, ख़ासकर रूलिंग पार्टी के नेताओं के दावों के अनुसार नहीं होकर, चौंकाने वाला ज़रूर होगा। और आज जब लोकसभा चुनाव का जो भी व जैसा भी नतीजा आया है वह लोगों के सामने है, और उन्हें ही, अब देश के लोकतंत्र, संविधान व देशहित आदि के बारे में सोचना और फैसला करना है कि यह जो चुनाव परिणाम आया है उसका आगे उन सबके जीवन पर क्या फर्क (असर) पड़ने वाला है तथा उनका अपना भविष्य कितना शान्त, समृद्ध व सुरक्षित रह पाएगा?
नतीजों पर गंभीरता से हर स्तर पर गहराई से सही विश्लेषण करेगी बसपा
इसके अलावा, इस चुनाव में ख़ासकर यूपी की तरफ पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं और यहाँ भी जो परिणाम सामने आया है वह भी जनता के सामने है। हमारी पार्टी इसको गंभीरता से लेकर इसका हर स्तर पर गहराई से सही विश्लेषण करेगी और पार्टी व मूवमेन्ट के हित में जो भी ज़रूरी होगा तो उसको लेकर ठोस कदम भी उठाएगी क्योंकि बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ लोगों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का एक मूवमेन्ट भी है। इसीलिए हमारी प्रतिक्रिया भी विशुद्ध रूप से देश के लोकतंत्र व परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के संविधान की पवित्रता व मजबूती को समर्पित होगी, ताकि देश के करोड़ों गरीबों, शोषितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण तथा उनकी सुरक्षा एवं सम्मान आदि पर मंडराता ख़तरा दूर हो। इसका सबसे मूल व प्रभावी रास्ता स्वंय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने यह बताया है कि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके ही तरक्की के तमाम बंद दरवाज़े खोले जा सकते हैं, जिसके प्रति अपने संघर्ष, त्याग व बलिदान का खुद ऑकलन करते रहना बहुत ज़रूरी है, तभी भविष्य संवरेगा व सुधरेगा भी।
अम्बेडकर के बताए रास्तों पर चलना ही मिशनरी धर्म
और अब मेरा यही कहना है कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्तों पर चलकर पूरी लगन, निष्ठा व ईमानदारी के साथ मेहनत से कार्य करना ही अपना मिशनरी धर्म है। हमारी इसी सोच व शक्ति ने सदियों से शोषित व उपेक्षितों को आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान के साथ जीने के लिए संघर्ष करते रहना सिखाया है और सरकार बनने पर 'सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक तरक्की' के तहत् उनके जीवन को काफी हद तक बदला भी है। इसीलिए इनको अपना भविष्य संवार कर देशहित को बढ़ावा देने का मिशनरी काम बिना थके, रुके व हारे अर्थात् हर हाल में पूरी तत्परता के साथ लगातार जारी रखना है तब फिर बेहतर जीवन का रास्ता ज़रूर निकलेगा।
अकेले के बलबूते पर बेहत्तर रिज़ल्ट के लिए हर सम्भव प्रयास
और अब अन्त में मेरा यही कहना है कि इस बार चुनाव में अपनी पार्टी बी.एस.पी. का अकेले ही, पार्टी से जुडे लोगों के बलबूते पर बेहत्तर रिज़ल्ट के लिए जो हर सम्भव पूरा-पूरा प्रयास किया गया है जिसमें खासकर दलित वर्ग में से मेरी खुद की जाति के लोगों ने अधिकांश अपना वोट बी.एस.पी. को देकर जो अपनी अहम् मिशनरी भूमिका निभाई है। तो उनका भी मैं विशेषकर पूरे तेहदिल से आभार प्रकट करती हूँ। साथ ही बहुजन समाज पार्टी का खास अंग मुस्लिम समाज जो पिछले कई चुनावों में व इस बार भी लोकसभा आमचुनाव में उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद भी बी.एस.पी. को ठीक से नहीं समझ पा रहा है तो अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझ के ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जायेगा। ताकि आगे पार्टी को भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो।
Created On :   5 Jun 2024 11:56 AM IST