लोकसभा चुनाव 2024: सातवें चरण में बंगाल, ओडिशा और पंजाब की सीटों पर भाजपा की होगी परीक्षा, समझिए 2019 के चुनावी नतीजे से
- देश में 1 जून को लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का मतदान
- 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 57 सीटों पर वोटिंग
- भाजपा को बंगाल, ओडिशा और पंजाब में कड़ी चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव के सातवें यानी अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होना है। जिसमें 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इस चरण में कुल 904 कैंडिडेट्स अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित होंगे। जिसमें देश की जनता अपने जननायक का फैसला करेगी। ऐसे में छह चरण के मतदान के बाद चुनाव के नतीजों को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही हैं।
चुनाव के नतीजों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों की अपनी-अपनी राय हैं। इनमें से अधिकतर विश्लेषक का मानने हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीत की हैट्रिक लगाने जा रहे हैं। हालांकि, जब बात सीटों की आती है तो यहां मामला एनडीए के अबकी बार 400 पार और 272 सीटों से कम जीत पर उलझ जाता है। इस पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए 303 के पार जाएगा। इसके अलावा संजय कुमार ने बताया कि केंद्र की सत्ता में एनडीए तीसरी बार वापसी करेगी मगर जीत का आकड़ा 272 सीटों के आसपास रहेगा। हालांकि, कांग्रेस के चुनावी विश्लेषक का मानना है कि भाजपा अपने खुद के दम पर सत्ता में तीसरी बार वापसी नहीं कर पाएगी। आइए जानते हैं सातवें चरण में सीटों के बढ़ने-घटने और चुनावी विश्लेषकों की भविष्यवाणी के गणित के बारे में
सातवें चरण में यूपी-बिहार की सीटें
लोकसभा चुनाव के सांतवे और अंतिम चरण में उत्तरप्रदेश की 13 सीटों पर टफ फाइट है। इनमें से सबसे हॉट सीट वाराणसी है जहां से मौजूदा सांसद पीएम मोदी तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने इन 13 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सर से लेकर एड़ी-चोटी तक का जोर लगा दिया है। सातवें चरण में बिहार की 8 सीटों पर भी मतदान होना है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की इन सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी। हालांकि, इस बार इन आठ सीटों पर विपक्ष के इंडिया गठबंधन की नजरें टिकी हुई हैं।
उत्तरप्रदेश की 13 सीटों पर मतदान
चुनाव के अंतिम पड़ाव में उत्तरप्रदेश की 13 सीटों पर पक्ष और विपक्ष चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पार्टियां जनता से कई तरह के वादे और दावे कर रही हैं। सातवें चरण में 7 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश की 57 सीटों पर वोटिंग होनी है। इन 57 सीटों में से 29 पर एनडीए का दबदबा है। जबकि, अन्य सीटों पर इंडिया गठबंधन पर मजबूत दिखाई दे रही हैं।
साल 2019 इन राज्यों में एनडीए की जीत-हार
पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 8 सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही एनडीए ने हिमचाल प्रदेश की 4 सीटों पर भी जीत हासिल की थी। जबकि, झारखंड की 3 में से 2 सीट और यूपी की 13 में से 11 सीट पर एनडीए के पाले में गई थी। चंडीगढ़ की बात करें तो यहां की 1 सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। हालांकि, एनडीए का पश्चिम बंगाल, पंजाब और ओडिशा में प्रदर्शन काफी खराब रहा था। तब बंगाल में एनडीए को 9 में से 9 सीटों पर हार झेलनी पड़ी थी। जबकि, पंजाब की 11 और ओडिशा की 6 में से 4 सीट विपक्षी दलों के खाते में गई थी।
लोकसभा चुनाव के बीते छह चरण के मतदान में अब तक 486 पर मतदान पूरा हो गया है। इसके बाद सातवें चरण के मतदान में 57 सीटों के साथ लोकसभा चुनाव समाप्त हो जाएगा। हालांकि, पिछले छह चरण की तुलना में सांतवे चरण का मतदान भाजपा के सामने कड़ी चुनौती है। क्योंकि सातवें चरण की 57 सीटों में शामिल बंगाल, पंजाब और ओडिशा की अधिकतर सीटों पर साल 2019 में भाजपा की हार हुई थी।
बंगाल, पंजाब और ओडिशा में चुनौती
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और हिमाचल जैसे राज्यों की सीटों पर एनडीए का प्रदर्शन काफी अच्छा था। उत्तरप्रदेश में इस बार एनडीए का मुकाबला कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन से हो रहा है। जबकि, पंजाब, ओडिशा और बंगाल में एनडीए के सामने कड़ी चुनौती है। इस बार सातवें चरण के तहत बंगाल की 9 सीटों पर वोटिंग होने है। जिनमें से साल 2019 में सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने इन्हीं 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसका मतलब यह कि भाजपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी। यह 9 सीटे बंगाल की राजधानी कोलकत्ता के नजदीकी शहरी इलाकों की हैं। यदि देखा जाए तो भाजपा की उत्तर भारत के शहरों में अच्छी पकड़ है। मगर, बंगाल के शहरी इलाकों में हार का सामना करना पड़ता है। हालांकि, यहां के ग्रामीण इलाकों में भाजपा की जीत मिलती रहती है।
बंगाल की तर्ज पर पंजाब में भी भाजपा की कड़ी परीक्षा है। दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और अकाली दल ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। उस दौरान 13 में से 4 पर एनडीए और 2-2 पर अकाली और भाजपा की जीत हुई थी। इस बार किसान आंदोलन होने की वजह से अकाली दल ने एनडीए गठबंधन से अपने कदम पीछे कर लिए हैं। ऐसे में पंजाब में लगभग 28 सालों के बाद भाजपा अकेले चुनावी मैदान में हैं। इस बार भापजा को सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल से चुनौती मिल रही है।
Created On :   28 May 2024 7:55 PM IST