विधानसभा चुनाव 2024: हरियाणा में चुनाव थमने के बाद शुरू हुई डेरों की राजनीति, जानिए राजनीतिक दलों की मजबूरी क्यों हैं डेरे ?

हरियाणा में चुनाव थमने के बाद शुरू हुई डेरों की राजनीति, जानिए राजनीतिक दलों की मजबूरी क्यों हैं डेरे ?
  • 90 विधानसभा सीट वाले हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान
  • राम रहीम के डेरे ने नाम चर्चा बुलाई
  • चुनावी शोर थमने के बाद शुरू होती है डेरे की राजनीति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 90 विधानसभा सीट वाले हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान होना है। चुनावी शोरगुल थमने के बाद प्रदेश के चुनावी महाौल में एक बार फिर डेरे की चर्चा होने लगी है। सभी राजनैतिक दलों ने चुनावी में पूरी ताकत झोंक दी। चुनाव थमने के बाद अब मतदान पर सभी की नजर टिकी हुई है। चुनाव में डेरों का प्रभाव समझना है तो उनके अनुयायियों की तादाद और वोटिंग पैटर्न को समझना होगा। आपको बता दें राज्य की राजनीति में डेरों का इतना असर है कि विधानसभा चुनाव में उतरें कई प्रत्याशी सीधे तौर पर डेरों से जुड़े हुए है। आपको बता दें चुनाव में डेरों की भूमिका जानने समझने वाले जानकार बताते हैं कि डेरों का काम चुनाव प्रचार थमने के बाद शुरू होता है।

प्रमुख राजनैतिक दलों के नेताओं ने रैलियां, डोर टू डोर कैंपेन कर जनता से वोट मांगे। चुनाव थमने से कुछ देर पहले ही अशोक तंवर ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। इन सब सुर्खियों के अलावा अब डेरा सच्चा सौदा की चर्चा सुर्खियों में हैं।

पैरोल पर जेल से बाहर आए राम रहीम के डेरे की ओर से नाम चर्चा के बुलाने के बाद चुनाव में डेरा के एक्टिव होने का संदेश मिला। डेरों की ओर से अपने अनुयायियों को वोटिंग से ठीके पहले की रात संदेश भिजवाया जाता है। कि किसका समर्थन करना है और किसका विरोध। संदेश के लिए डेरों में अलग से एक राजनीतिक विंग भी होती है। जो ये सब काम करती है कि डेरा के अनुयायी किस पार्टी को मतदान करेंगे। आपको बता दें हरियाणा में केवल राम रहीम का डेरा इकलौता नहीं जो चुनाव में सहयोग करता है। ऐसे कई डेरे है, जो चुनाव में भूमिका अदा करते है।

गुरमीत राम रहीम का डेरा

हरियाणा के 6 जिलों- फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार और करनाल में काफी प्रभाव है। जो 26 विधानसभा सीटों पर सीधे सीधे असर डालता है। इन जिलों में डेरा की कुल 38 ब्रांच हैं जिनमें से 21 केवल हरियाणा में हैं।

बाबा मस्तनाथ मठ

नाथ संप्रदाय के इस मठ की गद्दी पर काबिज बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। रोहतक का बाबा मस्तनाथ मठ हरियाणा के प्रभावशाली डेरों में आता है। . नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं। बालकनाथ यादव जाति से आते हैं और इस डेरे का प्रभाव सूबे के अहीरवाल बेल्ट, खासकर महेंद्रगढ़ और रोहतक में है।

निरंकारी डेरा

निरंकारी डेरे का हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, सोनीपत और करनाल समेत कई जिलों में प्रभाव है। आधा दर्जन जिलों की दर्जनभर से अधिक विधानसभा सीटों पर इसका प्रभाव है। किसी भी प्रत्याशी की हार जीत तय करने में निरंकारी डेरे के अनुयायी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

लक्ष्मणपुरी डेरा

लक्ष्मणपुरी डेरा का रोहतक और उसके आस-पास के जिलों की दर्जनभर विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। सीएम नायब सिंह सैनी से लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और भी कई बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े नेता कपिल पुरी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचते रहे हैं।

राधास्वामी सत्संग व्यास

डेरा राधा स्वामी स्वामी सत्संग व्यास से बड़ी तादाद में दलित जुड़े हुए है। राधा स्वामी सत्संग व्यास के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक शिरकत कर चुके हैं। डेरे के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री कई बार आशीर्वाद लेने पहुंचे।

इन डेरों के अलावा हरियाणा में कई अन्य डेरे भी शामिल है। जिनमें सिरसा जिले का कालावाली डेरा मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली और डेरा नामधारी, रोहतक का पुरी धाम, सांपला का डेरा कालीदास महाराजा, सतजिंदा कल्याण डेरा, सती भाई साईं दास और कलानौर का डेरा बाबा ईश्वर शाह भी प्रभावशाली डेरों में हैं।

Created On :   4 Oct 2024 5:17 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story