दाल इलाकों में दलों की चुनावी चाल, जानिए नरसिंहपुर की स्विंग सीटों का सियासी समीकरण

दाल इलाकों में दलों की चुनावी चाल, जानिए नरसिंहपुर की स्विंग सीटों का सियासी समीकरण
  • देश व मध्यप्रदेश के मध्य में बसा नरसिंहपुर
  • गुड़, गन्ना और दाल के लिए फेमस
  • जातिगत समीकरण का मिला जुला रूप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर जिला देश व प्रदेश के बीचोंबीच बसा हुआ है। भगवान नरसिंह की मूर्ति के कारण इसका नाम नरसिंहपुर पड़ा। उससे पहले इसका नाम गड़रिया खेड़ा था। जिले के गाडरवारा से दूर भटरा नामक ग्राम में 1872 में पाषाण युग के जीवाश्म युक्त पशु और बलुआ पत्थर से निर्मित उपकरण के साथ कई स्थलों पर प्रागेतिहासिक अवशेष मिले हैं ।

नर्मदा की ऊपरी घाटी मे स्थित होने से नरसिंहपुर एक कृषि प्रधान जिला है, करेली गुड़ की मंड़ी के लिये प्रसिद्ध है । नरसिंहपुर एवं गाड़रवारा में शक्कर की मिलें हैं । बीड़ी का काम मुख्यतः नरसिंहपुर, गाडरवारा, गोटेगांव मे किया जाता है। सरकारी योजनाओं के जरिए कई कार्य संपन्न हुए है, जबकि अधूरे विकास कार्य चुनावी मुद्दा बन सकते हैं। यहां प्रदेश का एक मात्र गन्ने का अनुसंधान केंद्र है।

नरसिंहपुर जिले में चार विधानसभा सीट गोटेगांव, नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा आती है। इनमें से गोटेगांव अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, वहीं तीन सीट नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा और गाडरवारा सामान्य के लिए सुरक्षित है।

नरसिंहपुर जिले में चुनाव दर चुनाव किसी भी दल की एक तरफा लहर रहती है। 2003 में बीजेपी, 2008 में कांग्रेस , 2013 में बीजेपी, 2018 में कांग्रेस की एक तरफा लहर थी। 2018 में कांग्रेस को जिले की तीन सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी के पाले में एक सीट आई थी। नरसिंहपुर जिले में आरएसएस की मजबूत पकड़ है। नरसिंहपुर जिले में ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ अलग होने से पहले सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई देता है। बहुजन समाज पार्टी की भी मतदाताओं के बीच पकड़ है।

गाडरवारा विधानसभा सीट

गाडरवारा विधानसभा सीट होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। गाडरवारा दालों को लेकर फेमस है। यहां अरहर का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। दालों की कई बड़ी मिले यहां है। यहां दाल के साथ साथ गन्ने का उत्पादन भी अधिक होता है। गाडरवारा की पहचान शक्कर और दूध नदी की रेत है। यहां अवैध रेत उत्खनन भी हर चुनाव में मुद्दा बनता है। यहां के किसान और व्यापारी वर्ग चुनाव को किसी भी दिशा में मोड़ने की ताकत रखते है।

यहां ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता आया है, लेकिन कुछ पुराने चुनावी नतीजों में बीएसपी ने भी यहां बाजी मारी है। पहाड़ी इलाके में रहने वाले आदिवासियों के लिए यहां आज भी विकास कोसों दूर है। यहां कानून व्यवस्था ठप है, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाए बदहाल स्थिति में है। यहां नशा और सट्टे का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है।

ओशो यानी रजनीश की नगरी के रूप में प्रसिद्ध गाडरवारा में जातिगत समीकरण काफी अहम माना जाता है। यहां सबसे ज्यादा किरार समाज के मतदाता है, उसके बाद लोधी वोटर्स की संख्या है। अनुसूचित जाति और ब्राह्मण वोटर्स की तादाद लगभग बराबर है। चुनाव में क्षत्रिय, सिख और जैन मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है। अनुसूचित जनजाति और क्षत्रिय वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब करीब समान है। चुनाव में हर बार नया चेहरा ही जीत दिला पाता है। चुनावी नतीजों में कोई भी प्रत्याशी दो बार लगातार रिपीट नहीं हुआ है। उम्मीदवार की हार जीत थोक वोट पर निर्भर रहती है।

2018 में कांग्रेस की सुनीता पटेल

2013 में बीजेपी से गोविंद सिंह पटेल

2008 में कांग्रेस से साधना स्थापक

2003 में बीजेपी से गोविंद सिंह पटेल

नरसिंहपुर विधानसभा सीट

नरसिंहपुर विधानसभा सीट होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। एक दो चुनाव को छोड़ दिया जाए तो चुनाव सीधे तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता आया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़कें की समस्या चुनाव में प्रमुखता से मुद्दे बनते है। नरसिंहपुर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण इतने मायने नहीं रखता है। यहां लोधी, मुस्लिम, एससी और ब्राह्मण वोटर्स निर्णायक मोड़ में होते है। इनके साथ साथ कुर्मी, राजपूत,जाट और एसटी समुदाय के मतदाताओं की संख्या भी चुनाव में अहम होती है।

2018 में बीजेपी से जालम सिंह पटेल

2013 में बीजेपी से जालम सिंह पटेल

2008 में कांग्रेस से सुनील जयसवाल

2003 में बीजेपी से जालिम सिंह पटेल

तेंदूखेड़ा विधानसभा सीट

तेंदूखेड़ा विधानसभा सीट होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। तेंदूखेड़ा सीट जातिगत आंकड़ों के हिसाब कौरव, किरार बाहुल्य मानी जाती है। लोधी, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति इन समुदाय के मतदाता काफी मायने रखते है। उसके बाद यादव और सामान्य वर्ग के वोटर्स निर्णायक होते है। कौरव और किरार प्रत्याशियों की हार जीत में अहम भूमिका अदा करते है।

2018 में कांग्रेस से संजय शर्मा

2013 में बीजेपी से संजय शर्मा

2008 में कांग्रेस से उदय प्रताप सिंह

2003 में बीजेपी से संजय शर्मा

गोटेगांव विधानसभा सीट

गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति -जनजाति और कुर्मी मतदाता काफी अहमियत रखते है। लोधी और कोटवार वोटरों की संख्या भी पर्याप्त है। स्वास्थ्य, शिक्षा यहां कि प्रमुख समस्या है।

2018 में कांग्रेस से नर्मदा प्रसाद प्रजापति

2013 में बीजेपी से कैलाश जाटव

2008 में कांग्रेस से नर्मदा प्रसाद प्रजापति

2003 में बीजेपी से हाकम सिंह चढ़ार

Created On :   23 Aug 2023 3:12 PM IST

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