लोकसभा चुनाव 2024: आरएसएस का गढ़ होने के बावजूद अभी तक केवल तीन चुनाव जीत सकी भाजपा, जानिए नागपुर सीट का सियासी इतिहास

आरएसएस का गढ़ होने के बावजूद अभी तक केवल तीन चुनाव जीत सकी भाजपा, जानिए नागपुर सीट का सियासी इतिहास
  • केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हैं मौजूदा सांसद
  • पिछले चुनाव में 2 लाख 16 हजार वोटों से जीते थे
  • संघ का गढ़ होने बाद भी लगातार चार चुनाव हारी बीजेपी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में नागपुर को हाई प्रोफाइल सीटों में गिना जाता है। नागपुर विदर्भ क्षेत्र के अंतर्गत आता है। नागपुर को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का गढ़ भी माना जाता है और इसका मुख्यालय भी यहीं पर स्थित है। चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद पहले चरण में 19 अप्रैल को महाराष्ट्र की जिन 5 प्रमुख सीटों में चुनाव होना है। उनमें नागपुर सीट का नाम भी शामिल है। वर्तमान में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी नागपुर सीट से सांसद हैं। आजादी के बाद 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था। जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी अनसूयाबाई काले को जीत मिली थी और वे यहां से पहली सांसद बनी थीं। नागपुर सीट पर वर्षों तक कांग्रेस का कब्जा रहा। साल 1996 में पहली बार भाजपा को यहां से जीत मिली थी। आज हम आपको बताएंगे नागपुर सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।

नागपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के साल 1952 में पहले आम चुनाव संपन्न हुए। पहले आम चुनाव में नागपुर सीट से कांग्रेस पार्टी को जीत मिली और अनसूयाबाई काले पहली सांसद बनीं। 1962 में कांग्रेस के पूर्व नेता माधव श्रीहरि अणे स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे और उन्हें जीत मिली। हालांकि, बाद में दोबारा नागपर सीट पर कांग्रेस के पाले में चली गई। 1967 में कांग्रेस प्रत्याशी एन आर देवघरे को जीत मिली। 1971 में नागपुर सीट पर कांग्रेस को पहली बार झटका मिला। इस बार नागपुर सीट पर सुभाष चंद्र बोस की पार्टी फॉरवर्ड ब्लाक को जीत मिली और भोटे जामबुवंतराव बापुराव सांसद बने। आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में कांग्रेस ने वापसी की और अवारी गेव मंचरश निर्वाचित हुए। तीन साल बाद 1980 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। इस बार कांग्रेस पार्टी ने फॉरवर्ड ब्लाक से नागपुर सीट के पूर्व सांसद भोटे जामबुवंतराव बापुराव को टिकट दिया। बापुराव दोबारा चुनाव जीतने में सफल रहे। 1984 में कांग्रेस ने बनवारीलाल भगवानदास पुरोहित को टिकट दिया। उन्हें भी चुनाव में जीत मिली। बनवारीलाल पुरोहित ने साल 1989 के आम चुनाव में भी कांग्रेस को जीत दिलाई।

साल 1991 के आम चुनाव में बनवारीलाल ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इस बार बनवारीलाल को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी दत्ताजी राघोबजी मेघे सांसद चुने गए। 1996 में भाजपा ने बनवारीलाल को एक बार फिर टिकट दिया। इस बार उन्हें जीत मिली और भाजपा ने नागपुर सीट में पहली बार चुनाव जीता। 1998 में कांग्रेस पार्टी ने नागपुर सीट पर वापसी की। इस बार विलास मुत्तेमवर सांसद बने। इसके बाद कांग्रेस ने लगातार तीन आम चुनाव साल 1999, 2004 और 2009 में जीत दर्ज की। इस दौरान विलास बाबूराव मुत्तेमवर तीन बार सांसद रहे। साल 2014 मोदी लहर के चलते लंबे अंतराल बाद नागपुर सीट पर भाजपा ने वापसी की। इस बार नितिन गडकरी सांसद बने। नितिन गडकरी ने 2019 का आम चुनाव भी जीता और उन्होंने अपनी सांसदी बरकरार रखी। वर्तमान में नितिन गडकरी नागपुर सीट से सांसद हैं और केंद्र सरकार में सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री हैं।

क्या रहा पिछले चुनाव का रिजल्ट?

साल 2019 में नागपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने पिछले आम चुनाव में जीते हुए प्रत्याशी नितिन गडकरी को टिकट दिया था। गडकरी के सामने कांग्रेस पार्टी ने नाना पटोले को सांसद का उम्मीदवार चुना था। चुनावी नतीजों में नितिन गडकरी को बंपर जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 2 लाख 16 हजार 9 वोट से हराया था। इस दौरान नितिन गडकरी कुल 6 लाख 60 हजार 221 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार को 4 लाख 44 हजार 212 वोट मिले थे।

कई प्रदेशों के राज्यपाल बनने से पहले बनवारीलाल तीन बार बने सांसद

साल 1996 के आम चुनाव में भाजपा ने नागपुर सीट पर पहली बार अपना खाता खोला था। उस साल बनवारीलाल पुरोहित सांसद बने थे। बता दें कि बनवारीलाल ने कांग्रेस पार्टी के टिकट से दो बार नागपुर सीट से चुनाव लड़ा था। आगे चलकर वे भाजपा में शामिल हो गए थे। साल 1991 में उन्होंने भाजपा के लिए पहली बार चुनाव लड़ा था। लेकिन तब उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी दत्ताजी राघोबजी मेघे से हार का सामना करना पड़ा था। बनवारीलाल वही नेता हैं जो आगे चलकर तमिल नाडू, मेघालय और असम समेत तमाम प्रदेशों के राज्यपाल भी बने। हाल ही में उन्होंने पंजाब के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था।

संघ का गढ़ होने बाद भी केवल तीन चुनाव जीत सकी भाजपा

ऐसा माना जाता है जिस क्षेत्र में संघ का प्रभाव होता है वहां भाजपा का भी प्रभाव देखने को मिलता है। राजनीतिक परिदृश्य से देखें तो नागपुर लोकसभा की इकलौती ऐसी सीट होगी जहां संघ का गढ़ होने के बावजूद भाजपा केवल तीन लोकसभा चुनाव जीत सकी है। नागपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने 1991 में पहला चुनाव लड़ा और 1996 में पहली जीत मिली थी। लेकिन इस चुनाव के बाद भाजपा को लगातार चार आम चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।

मोदी लहर में नितिन गडकरी बने सांसद

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में मोदी लहर चल रही थी। नागपुर संसदीय क्षेत्र से पहली बार नितिन गडकरी को भाजपा का टिकट मिला। चुनावी नतीजों में उन्होंने नागपुर से 4 बार के विजता सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी विलास मुत्तेमवर को मात दी थी। गडकरी ने मुत्तेमवर को 2 लाख 84 हजार 828 वोट के बड़े अंतरा से हराया था। भाजपा को नागपुर सीट में इतनी बड़ी जीत सालों बाद मिली थी। भाजपा ने आखिरी चुनाव साल 1996 में जीता था।

Created On :   22 March 2024 10:25 PM IST

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