वन नेशन वन इलेक्शन: आप ने किया एक साथ चुनाव कराने का विरोध

आप ने किया एक साथ चुनाव कराने का विरोध
  • कांग्रेस, टीएमसी, बीआरएस पहले ही कर चुकी है विरोध
  • एआईएमआईएम भी दर्ज करा चुके है आपत्ति
  • विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली बीजेपी की केंद्र सरकार देश में एक देश एक चुनाव कराने पर विचार कर रही है। वहीं कई विपक्षी दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विरोध करना शुरु कर दिया है। कांग्रेस, टीएमसी से लेकर आप पार्टी भी इसका विरोध कर रही है। आप ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कहा है कि इससे सदस्यों की खरीद-फरोख्त बढ़ेगी। साथ ही देश की संघीय राजनीति को नुकसान होगा। आपको बता दें वन नेशन वन इलेक्शन का आशय पूरे देश में एक साथ इलेक्शन कराने से है। यानि पूरे देश में एक साथ एक ही समय में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे।

दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी ने एक देश एक चुनाव का विरोध किया है। इसे लेकर आप ने एक हाई लेवल कमेटी को अपनी सिफारिशों भेजीं है। आप से पहले एक देश एक इलेक्शन के विरोध में टीएमसी चीफ ममता बनर्जी भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ अध्यक्षता वाली कमेटी को पत्र भेज चुकी है। हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उच्च स्तरीय समिति को पत्र लिखकर कहा, 'न तो संसदीय स्थायी समिति, नीति आयोग या विधि आयोग ने यह सुझाव दिया है कि ऐसा कदम उठाने की जरूरत क्यों है। इसके बजाय चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि इसे कैसे लागू किया जा सकता है. दुर्भाग्य से, एचएलसी के संदर्भ की शर्तों में भी वही दोष मौजूद है।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष ने समिति को 3 पन्ने का खत लिखा है कि हम 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विरोध क्यों कर रहे हैं। यह लोकतंत्र के खिलाफ है और हम इसका पूरा विरोध करेंगे।

आप के महासचिव पंकज गुप्ता ने एक देश एक चुनाव का कड़ा विरोध करते हुए उच्च स्तरीय समिति के सचिव नितेन चंद्र को संबोधित करते हुए 13 पन्नों का सिफारिश पत्र लिखा है। आप ने अपनी सिफारिश में कहा है कि ये लोकतंत्र के विचार, संविधान की बुनियादी संरचना को नुकसान पहुंचाएगा। इससे सदस्यों की खुली खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। आप का कहना है कि एक देश एक चुनाव कराने से जो रूपए बचाने की कोशिश की जा रही है। वह भारत सरकार के वार्षिक बजट का मात्र 0.1 प्रतिशत ही है। संकीर्ण वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए संविधान, लोकतंत्र के सिद्धांतों का बलिदान नहीं दिया जा सकता।

Created On :   20 Jan 2024 4:10 PM IST

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