संकष्टी चतुर्थी: रविवार को इस शुभ संयोग में करें बप्पा की पूजा, जानें मुहूर्त और पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हर महीने ऐसे कई सारे व्रत आते हैं, जब अलग- अलग देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा की जाती है। इनमें से एक है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जो कि प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस माह यह 27 जून यानी कि रविवार को है। इस व्रत को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, चूंकि यह संक्रष्ट व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है। जिसके कारण यह तिथि और भी महत्वपूर्ण हो गई है। क्यों कि जो संकष्टी चतुर्थी रविवार के दिन पड़ती है उसे रविवती संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो। उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...
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पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- बप्पा को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
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- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
ध्यान रखें ये बात
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
Created On :   25 Jun 2021 4:27 PM IST