कांग्रेस ने 9.5 लाख आत्महत्याओं के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया
- भारत को बर्बाद कर रही है आत्महत्या अभूतपूर्व त्रासदी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । कांग्रेस ने रविवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को 7 साल में 9.5 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पार्टी ने कहा कि वह अच्छे दिनों के वादे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन ऐसे दिन लाने के लिए कुछ भी नहीं किया। पार्टी ने हाल ही में भारत में आत्महत्या और दुर्घटना से होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2014-2020 के बीच 9,58,275 भारतीयों ने आत्महत्या करके अपना जीवन समाप्त कर लिया।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा रिपोर्ट में आत्महत्या के आंकड़ें अभूतपूर्व त्रासदी को रेखांकित करती है जो भारत को बर्बाद कर रही है। असहाय नागरिक, अत्यधिक उदासीनता और सरकार की असंवेदनशीलता के कारण आखिरी उम्मीद खो रहे हैं और अपनी जान ले रहे हैं। अन्नदाता (किसान), मेहनतकश मजदूर, दिहाड़ी मजदूर, गृहिणियां या बेरोजगार शिक्षित युवा हों, चारों ओर अंतहीन निराशा की गाथा है। महत्वाकांक्षी लोगों के लिए अवसर आत्मघाती अवसाद के सेसपूल में परिवर्तित हो गए हैं। उन्होंने कहा भले ही छात्रों और बेरोजगारों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जाता है। भारत का भविष्य अंधकार के अलावा कुछ नहीं है। 2014 से 2020 तक मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान, 69,407 छात्रों को अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर किया गया।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि अपनी जनविरोधी नीतियों को छिपाने के प्रयास में सरकार लोगों के बीच विभाजन, नकारात्मकता, निराशा को बनाए रखने के लिए नग्न रूप से सहारा ले रही है। इसमें कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या में 55 प्रतिशत, बेरोजगारों में 58 प्रतिशत और किसानों, मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों में 139.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर विभिन्न श्रेणियों में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 16.24 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जा रहा है और पिछले 7 वर्षों में मोदी सरकार की क्रोनी कैपिटलिस्ट फ्रेंडली और किसान विरोधी नीतियों के कारण 78,303 किसानों ने आत्महत्या की। जिनमें से 35,122 खेत मजदूर थे। बढ़ती लागत, एमएसपी की कमी और फसल बीमा योजना का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2019 से 2020 तक आत्महत्या की संख्या में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सरकार ने सचमुच किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है जिससे बीमाकर्ताओं को अधिक लाभ हुआ और अंत में तीन कृषि कानून मुख्य कारण हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   8 Nov 2021 1:30 AM IST