दावा: संयुक्त राष्ट्र ने कहा- 'कोरोना' की वजह से दुनिया में आएगी सबसे बड़ी मंदी, भारत पर होगा कम असर

UN claims due to Corona global recession may come but India and China will have less effect on recession
दावा: संयुक्त राष्ट्र ने कहा- 'कोरोना' की वजह से दुनिया में आएगी सबसे बड़ी मंदी, भारत पर होगा कम असर
दावा: संयुक्त राष्ट्र ने कहा- 'कोरोना' की वजह से दुनिया में आएगी सबसे बड़ी मंदी, भारत पर होगा कम असर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया की अर्थव्यवस्था को लेकर सुंयक्त राष्ट्र ने बड़ा दावा किया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि महामारी के कारण दुनिया आर्थिक महामंदी की ओर जाएगी। इस साल तमाम अर्थव्यवस्थाओं के खरबों डॉलर डूब जाएंगे। विकासशील देशों को ज्यादा मुश्किल हो सकती है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने उम्मीद जताई कि इस महासंकट का भारत और चून पर बाहद कम असर होगा। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने इसकी वजहों का खुलासा अभी नहीं किया है। 

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कोरोना के असर को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने मंगवार को ट्रेड रिपोर्ट में कहा कि दुनिया की दो तिहाई आबादी विकासशील देशों में रहती है। महामारी के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना होगा। ऐसे देशों को बचाने के लिए 2.5 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 187.50 लाख करोड़ रू) के राहत पैकेज की जरूरत है। यह राशि बीमारियों से उबरने, कर्ज का बोझ कम करने और अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए नकदी बढ़ाने को चाहिए होंगी। यूएनसीटीएडी के महासचिव मुखिसा कितूयी ने कहा कि जिस गति से महामारी से विकासशील देशों को आर्थिक झटका लगा है, वह 2008 की मंदी के मुकाबले नाटकीय है। गिरावट इतनी तेज है कि आंकलन भी मुश्किल हो रहा है। स्पष्ट संकेत है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए चीजें पहले से ज्यादा बदतर होने जा रही हैं।

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कच्चे तेल और सोने के दाम गिरना भारत के लिए अच्छे संकेत हैं
रानेन बनर्जी, लीडर- इकोनॉमी एडवाइजरी सऱ्विसेस, पीडब्ल्यूसी इंडिया का कहना है कि भारत पर मंदी के कम असर के कुछ कारण हैं। सोना और कच्चे तेल आयात सबसे निचले स्तर पर है। तेल की मांग कम और उत्पादन बरकरार है। यानी दाम नियंत्रण में रहेंगे। सोने की मांग कमजोर है। भारत की निर्यात और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में हिस्सेदारी कम है। भारतीयों का कॉन्टेक्ट इकोनॉमी एक्सपेंडिचर बहुत कम है।

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योजना आयोग के पूर्व सदस्य और अर्थशास्त्री प्रो. अभिजीत सेन ने कहा कि भारत में आबादी की तुलना में कोरोना पीड़ितों की संख्या बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पर निर्भरता अधिक नहीं है। लॉकडाउन सिर्प 14 अप्रैल तक रहा तो सिर्फ एक तिमाही प्रभावित होगी। बाद में अर्थव्यवस्था ठीक होगी। लेकिन, लॉकडाउन बढ़ा तो दिक्कत होगी।

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Created On :   1 April 2020 2:32 PM IST

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