माउंट एवरेस्ट पर 300 से ज्यादा लाशें, लैंडमार्क की तरह होता है इनका इस्तेमाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है। इसकी ऊंचाई 29,029 फीट है। ये जानते हुए भी की इसकी चढ़ाई करना खतरे से खाली नहीं है अनुभवी पर्वतारोहियों के साथ-साथ ये सक्षम पर्वतारोहियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। हाल ही में माउंट एवरेस्ट की एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें सेल्फी लेने के लिए चोटी पर भीड़ नजर आ रही थी। बीते 9 दिनों में माउंट एवरेस्ट की चढाई करते हुए 11 पर्वतारोहियों की मौत हुई है जबकि अब तक 300 से ज्यादा पर्वतारोही अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से कई पर्वतारोहियों की लाशें आज भी यहां मौजूद है जिनका उपयोग लैंडमार्क के तौर पर किया जाता है।
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यह श्रिया शाह-कोल्फिन की बॉडी है जिनकी मौत ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाने के कारण हुई थी। 2012 में शिखर पर पहुंचे के बाद श्रिया ने अपनी जीत का जश्न मनाने में करीब 25 मिनट बिताए। उसका शरीर शिखर से 300 मीटर नीचे है, जिसे कनाडा के झंडे में लपेटा गया है।
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डेविड शार्प एक ब्रिटिश पर्वतारोही था जो 2006 में "ग्रीन बूट्स" के पास आराम करने के लिए रुका था। वह उस जगह पर जम गया और अपनी चढ़ाई जारी नहीं रख पाया था। लगभग 30 पर्वतारोहियों ने उन्हें टॉप पर जाने से पहले देखा कि वह जीवित है। कुछ ने उससे बात भी की। हालांकि, एवरेस्ट पर एक और जीवन को बचाने के लिए आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। मदद करने की कोशिशों से खुद की मौत हो सकती है।
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कोई नहीं जानता कि यह शरीर कंकाल में क्यों बदल गया है। कुछ पर्वतारोही अक्सर चट्टानों से चिपक जाते हैं और खुद को बचाने के लिए बर्फ से खुद को पैक कर लेते हैं।
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यह फ्रांसिस एस्टेंटिएव की बॉडी है। इनकी मृत्यु का कारण एक्सपोजर और सेरेब्रल एडिमा है। वह 1998 में अपने पति के साथ चढ़ाई कर रही थी जब वे अलग हो गए। उन्होंने एक-दूसरे की खोज करने का प्रयास किया, लेकिन वह दोबारा मिलने में असमर्थ रहे। फ्रांसिस और उनके पति सर्गेई दोनों का पहाड़ पर निधन हो गया। उनके पति की मौत गिरने से हुई थी और एक साल बाद बॉडी मिली थी।
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स्लोवेनियाई पर्वतारोही मार्को लिहाटेनेकर की भी 2005 में एक्सपोज़र और थकावट से मृत्यु हो गई थी। उन्हें आखिरी बार ऑक्सीजन मास्क में समस्या के साथ देखा गया था।
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यह एक जर्मन पर्वतारोही हैनेलोर श्मेट्ज़ है, जिनकी 1979 में एक्सपोज़र और थकावट के कारण मौत हो गई थी। ऐसा कहा जाता है कि वह आराम करने के लिए रुकी थी और अपने बैग से टिक कर वह आराम कर रही थी। आराम या झपकी के दौरान एवरेस्ट पर मौतें होना आम बात है। माउंट एवरेस्ट पर मरने वाली हैनेलोर पहली महिला थीं।
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यह जॉर्ज मैलोरी का शरीर है जिनकी गिरने और सिर पर चोट लगने के कारण मौत हो गई थी। मैलोरी 1924 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास करने वाले पहले पर्वतारोहियों में से एक है। 1999 में मल्लोरी की बॉडी मिली थी जिसके बाद उनकी पहचान हुई। वह पहाड़ को शिखर पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन वह शीर्ष पर पहुंचे या नहीं, आज तक यह बहस और शोध का विषय बना हुआ है।
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इस बॉडी को "ग्रीन बूट्स" नाम दिया गया है, शायद एवरेस्ट पर सबसे प्रसिद्ध बॉडी है। उनका असली नाम त्सावांग पलजोर था। 1996 में माउंट एवरेस्ट आपदा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। शिखर से उतरते समय वह एक बर्फानी तूफान में फंस गए थे और उनकी मौत हो गई।
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दो पर्वतारोहियों ने चढ़ाई करते हुए एक महिला को अकेला पाया जो मदद मांग रही थी। पर्वतारोहियों ने उस महिला को वहां मरने के लिए छोड़ दिया क्योंकि उनके पास उसकी मदद करने के लिए कोई साधन नहीं था और अगर पर्वतारोही वहां रुकते तो ये उनकी जान के लिए भी खतरा होता। हालांकि इसका उन्हें काफी अफसोस था इसीलिए उन्होंने सालों तक यहां वापस आने के लिए पैसे जमा किए और उस महिला का अंतिम संस्कार किया।
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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के दो रास्ते हैं। नॉर्थ रूट और साउथ रूट। नॉर्थ रूट तिब्बत से होकर जाता है। साउथ रूट नेपाल से होकर गुजरता है। ज्यादातर पर्वतारोही साउथ रूट का इस्तेमाल करते हैं। शिखर की चढ़ाई करने वाले पर्वतारोहियों को 'डेथ ज़ोन' (26,000 फीट से अधिक ऊंचाई) पर ज़िंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा चुनौतियों जैसे एल्टीट्यूड सिकनेस, एक्सट्रीम वेदर कंडीशन, फ्रॉस्टबाइट और हिमस्खलन का सामना करना पड़ता है। दुर्भाग्य से कई पर्वतारोही इन चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं और यमराज के मुंह में समा जाते हैं। हालांकि कई पर्वतारोही कहते हैं कि सबसे कठिन हिस्सा खतरनाक चढ़ाई नहीं है जबकि पहाड़ पर जमे हुए लगभग 300 शवों को पार करना बड़ी चुनौती है।
Created On :   28 May 2019 11:45 PM IST