शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन: 10 या 11 अक्टूबर, कब रखें अष्टमी तिथि का व्रत, जानें सही तारीख और पूजा विधि

10 या 11 अक्टूबर, कब रखें अष्टमी तिथि का व्रत, जानें सही तारीख और पूजा विधि
  • महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं
  • इस वर्ष अष्टमी तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है
  • अष्टमी तिथि की शुरूआत 10 अक्टूबर की दोपहर को होगी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि का पर्व अब अपने समापन की ओर है और इसके दो दिन ही शेष बचे हैं। इन दिनों को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। अष्टमी और नवमीं तिथि पर विशेष महत्व माना जाता है। इन दिनों में कन्या पूजन और कन्या भोज की भी परंपरा है। बता दें कि, आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप आदि शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। इस वर्ष अष्टमी तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि, कुछ लोग 10 तो कुछ लोग 11 अक्टूबर को अष्टमी मान रहे हें। आइए जानते हैं इसकी सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि....

कब रखें अष्टमी का व्रत

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरूआत 10 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से हो रही है वहीं जिसका समापन अगले दिन 11 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर होगा। इसके तुरंत बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, उदयातिथि पड़ने के कारण अष्टमी तिथि का व्रत 11 तारीख को ही रखा जाएगा।

मां महागौरी का स्वरूप

महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।

मां महागौरी पूजा विधि

- सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

- इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें।

- हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।

- अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं।

- उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

- इसके बाद देवी मां की आरती उतारें।

- अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है।

प्रिय भोग-

मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इसी के साथ नारियल दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

महागौरी आराधना मंत्र-

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

"ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   9 Oct 2024 5:55 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story