Puja Niyam: क्या बिना स्नान के पूजा की जा सकती है, जानिए क्या कहता है शास्त्र?

क्या बिना स्नान के पूजा की जा सकती है, जानिए क्या कहता है शास्त्र?
  • स्नान को पवित्रता का प्रतीक माना गया है
  • तन और मन की शुद्धता का पालन जरूरी है
  • कुछ परिस्थितियों में बिना स्नान पूजा कर सकते हैं

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ करना बेहद ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। ईश्वर के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को प्रदर्शित करने का यह एक आसान उपाय है, जब आप प्रभु से जुड़ते हैं। लेकिन, इसके लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं और ऐसा कहा जाता है कि आप जब पूजा-पाठ करते हैं तो इसके पहले आपको तन और मन की शुद्धता का पालन करना जरूरी है।

वहीं कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि, पूजा के लिए मन साफ होना चाहिए तो फिर स्नान करें या ना करें? बता दें कि, स्नान को पवित्रता का प्रतीक माना गया है। ऐसे में स्नान के बिना क्या पूजा करना सही है? क्या कहता है शास्त्र? आइए जानते हैं...

श्रद्धा और पवित्रता जरूरी

शास्त्रों के अनुसार, जब आप ईश्वर की पूजा कर रहे हैं तो इसके लिए श्रद्धा और पवित्रता जरूरी है। वहीं जब आप मानसिक तौर पर ईश्वर की आराधना कर रहे हैं या मंत्र जाप कर रहे हैं तो फिर स्नान की अधिक आवश्यकता नहीं रह जाती। लेकिन, ध्यान रहे आप मंत्र जाप या ईश्वर आराधना मंदिर से अलग किसी स्थान पर ही करें। यहां आप भगवान का ध्यान भी कर सकते हैं। लेकिन जब आपको मूर्ति छूना है और मंदिर में जाना है तो इसके लिए स्नान करना जरूरी है।

पूजा के लिए स्नान कितना जरूरी?

शास्त्रों में स्नान को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में जब आप किसी मंदिर में घर के अंदर या बाहर जा रहे हैं तो आपको स्नान जरूर करना चाहिए। वहीं जब आप स्नान करते समय मंत्र जाप करते हैं तो आपके शरीर के साथ मन भी शुद्ध हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, यदि आप बिना स्नान किए अशुद्ध शरीर से ईश्वर की पूजा करते हैं तो आपको इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में आपको पूजा करने के लिए स्नान बेहद जरूरी है।

इन परिस्थतियों में कर सकते हैं बिना नहाए पूजा

कई बार ऐसी परिस्थिति बनती हैं जब आप बिना नहाए ईश्वर की पूजा कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, भगवान सिर्फ बाहरी शुद्धता से ही नहीं बल्कि आपकी श्रद्धा और भक्ति से भी प्रसन्न होते हैं। यदि आप बीमार हैं या किसी अन्य परिस्थिति के कारण स्नान करने में असमर्थ हैं तब आप सच्च और शुद्ध मन से भगवान की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, यहां भी पूजा का यह नियम बाध्य होगा कि आप मानसिक पूजा या मंत्र जाप करें। मूर्ति या प्रतिमा स्पर्श ना करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   21 Jan 2025 6:40 PM IST

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