सिर ढंककर पूजा करना क्यों होती है जरूरी, ईश्वर का सम्मान ही नहीं, इस बात के लिए भी है जरूरी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सदियों से सिर ढंकने कर पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। हिंदू के साथ- साथ मुस्लिम और सिख धर्म में भी धार्मिक कार्यों के दौरान सिर ढंकना जरूरी माना जाता है। आप को बता दें कि सिर ढंकना सम्मान का सूचक माना जाता है। पर पूजा पाठ के समय सिर ढंकना न केवल महिला बल्कि पुरुषों के लिए भी जरूरी होता है। इसलिए पूजा के समय सिर पर कुछ न मिले तो कम से कम एक रूमाल का कपड़ा ही रख लिया जाता है। इससे मन में भगवान के प्रति सम्मान दिखाई देता हैं। लेकिन क्या आप को पता हैं, की पूजा-पाठ में स्त्री और पुरुष दोनों के लिए सिर ढंकना क्यों जरूरी होता है, तो आइए जानते सिर ढंकना क्यों जरुरी होता है।
ईश्वर का आदर
पुराणों के अनुसार पूजन या किसी भी शुभ कार्य को करते समय सिर ढंका हुआ होना चाहिए, क्योंकि इससे आपका मन भटकता नहीं और ध्यान पूजा में लगा रहता है।
कहा जाता है कि अगर सिर ढंक कर पूजा की जाए तो पूरा ध्यान पूजा पर रहता है। साथ ही माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को भाग्य का साथ भी दोगुना मिलता है।
ऋषि मुनी भी बताते हैं कि पूजन के वक्त सिर ढंकना भगवान को सम्मान देने का एक प्रतीक होता है। जैसे आप बड़े-बुजुर्गों के सामने सिर को ढंक कर आदर देते हैं। वैसे ही ईश्वर के आदर के लिए भी सिर को ढंकना जरूरी होता है।
दूर होती है नकारात्मकता
सभी के लिए पूजा पाठ का एक ही नियम बनाया हुआ है। इसलिए पूजा करते समय स्त्री और पुरुष दोनों को ही सिर ढंकना जरूरी माना जाता है। अगर आप पूजा करते समय सिर ढंक कर पूजा करते हैं, तो आप नकारात्मक शक्तियों से बचे रहते हैं। बताया जाता है कि बालों के जरिए नकारात्मकता हमें अपनी ओर खींचती है, और अगर आप सिर को ढंक कर पूजा करते हैं तो आप के मन में सकारात्मक विचार आते हैं।
एकाग्रता के लिए
अगर आप का सिर खुला हो तो सूरज की किरणे सीधे व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती है।जिसके सिर दर्द की समस्या होने लगती हैं। धुप में खुले सिर निकलने से कई सारी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे पूजा से ध्यान विचलित हो सकता है।
वैज्ञानिक कारण
सिर ढंककर पूजा करने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी होता हैं। सिर ढंककर हवन या पूजा में बैठने आग की लपटों से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।
डिसक्लेमर- ये जानकारी धर्म से जुड़े अलग अलग शोध और किताबों पर आधारित है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता।
Created On :   30 May 2022 1:25 PM IST