बन रहा है ये खास संयोग, जानें पूजा की विधि और मुहूर्त
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। वैसे तो देवों के देव महादेव यानी कि भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए वैसे तो सालभर कई व्रत किए जाते हैं। वहीं सोमवार का दिन शंकर जी की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। लेकिन माना जाता है कि, प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की पूजा से उन्हें जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है। इस बार प्रदोष व्रत पर सोमवार का संयोग भी बन रहा है। यानी कि 17 अप्रैल 2023 को प्रदोष व्रत पड़ रहा है।
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 17 अप्रैल 2023 सोमवार, दोपहर 03.46 बजे से
तिथि समापन: 18 अप्रैल 2023 मंगलवार, दोपहर 01.27 बजे तक
पूजा का समय: शाम 06.48 बजे से रात 09.01 बजे तक
पूजा की कुल अवधि- 02 घंटे 13 मिनट्स तक
पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त हों।
- साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- फिर शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करें।
- शिव जी की पूजा करते समय शिव पुराण और शिव स्तुति करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   15 April 2023 8:20 PM IST