व्रत: आज है रवि प्रदोष, इस पूजा से मिलेगी महादेव की कृपा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जो प्रदोष व्रत रविवार के दिन होता है, तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं। हिन्दू वर्ष के पहले माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यानी कि आज (05 अप्रैल, रविवार) यह व्रत है। माना जाता है कि रवि प्रदोष व्रत से कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है। इस व्रत को करने से जीवन की अनेक समस्याएं दूर की जा सकती हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि प्रदोष के दिन जो भी शिव भक्त व्रत रखकर सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करता है, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन किस विधि से करें भगवान शिव की उपासना, आइए जानते हैं...
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रखें ये सावधानियां-
- इस दिन घर में और घर के मंदिर में साफ सफाई का ध्यान रखें।
- व्रती को सुबह उठकर नित्यक्रिया के बाद स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनना चाहिए।
- सूर्य नारायण को तांबे के लोटे से जल में शक्कर डालकर अर्घ्य देना चाहिए।
- व्रती को इस दिन भगवान शिव के मन्त्र ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जाप करना चाहिए।
- ध्यान रहे कि व्रत के दौरान आपके मन में किसी प्रकार के गलत विचार नहीं आना चाहिए।
- व्रती इस दिन अपने गुरु और पिता के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करें।]
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प्रदोष व्रत पूजा विधि
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
- इसके बाद प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्न्नान कराएं।
- शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप से पूजन करें।
- पूजा के दौरान भगवान शिव को साबुत चावल की खीर और फल अर्पण करें।
- ऊँ नमःशिवाय" मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन करना चाहिए।
- प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें।
- हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती करें।
- इसके बाद शान्ति पाठ करें और अंत में दो ब्रह्माणों को भोजन या अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
Created On :   4 April 2020 3:37 PM IST