भगवान शिव की पूजा से मिलेगा शुभ फल, जानें विधि और व्रत का महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत आता है, दिन के हिसाब से इस व्रत को अलग अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए शुक्रवार के दिन आने पर शुक्र प्रदोष कहलाता है, जो कि इस माह 07 अक्टूबर शुक्रवार को है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन भगवान शंकर की पूजा काफी फलदायी होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत को करने से जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है और सफलता मिलती है।
प्रदोष व्रत सामग्री
प्रदोष व्रत पर भगवान की पूजा के लिए सफेद पुष्प, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, जनेउ, जल से भरा हुआ कलश, धूप, दीप, घी,कपूर, बेल-पत्र, अक्षत, गुलाल, मदार के फूल, धतुरा, भांग, हवन सामग्री आदि, आम की लकड़ी की आवश्यकता होती है।
व्रत विधि
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। पूरे दिन मन ही मन “ॐ नम: शिवाय ” का जप करें। पूरे दिन निराहार रहें। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिए। शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल 4:30 बजे से लेकर संध्या 7:00 बजे के बीच की जाती है।
संध्या काल में पुन: स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें । पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें। यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   6 Oct 2022 5:46 PM GMT