इस विधि से करें शिवजी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले शनिवार को शनि प्रदोष व्रत रखा जाता है। शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार शनि प्रदोष व्रत 04 सितंबर को है। मान्यता है कि यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं। शनि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को करने के विधान है। बता दें कि, प्रत्येक माह में दो त्रयोदशी तिथि पड़ती है। इन दोनों तिथियों को प्रदोष व्रत रखा जाता है।
शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए। शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है। कहा जाता है कि शनि त्रयोदशी शनि देव की जन्म तिथि है। इसलिए इस दिन शनि से संबंधित उपाय भी किए जाते हैं। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व।
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शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 17 मिनट तक
निशीथ काल: मध्यरात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
गोधूलि बेला: शाम 6 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 51 मिनट तक
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पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं। फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- इसके बाद शाम के समय जब सूर्यास्त के बाद सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें, इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
Created On :   4 Sept 2021 5:35 PM IST