सावन 2020: इन उपायों से विवाह में अड़चन, संतान और धन की समस्या से मुक्ति मिलेगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सावन मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इसे महीने को सबसे पवित्र माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है। वैसे तो इस माह में हर सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालू शिवालयों, मंदिरों और अपने घर पर भगवान शिव की पूजा करते हैं। वहीं अधिकांश श्रद्धालू व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि इस माह में शिव पार्वती की पूजा करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
वहीं कई उपाय ऐसे भी हैं, जिन्हें करने से आपको सुख संपदा की प्राप्ति तो होती है। आपकी जिंदगी से सभी कष्टों से मुक्ति भी मिलती है। इसके अलावा यदि आपके विवाह में अड़चनें आ रही हो तो सावन के महीने में इन उपायों को करके आप अपनी परेशानी से निजात पा सकते हैं। क्या हैं ये उपाय? आइए जानते हैं...
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ये उपाय कष्टों से मुक्ति दिलाएंगे, जीवन में आएगी खुशहाली
- सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर मंदिर जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ ही काले तिल अर्पण करें।
- सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से "ऊं नम: शिवाय" लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करने के साथ ही गुग्गुल धूप जलाएं।
- सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं।
- सावन माह में गरीबों को भोजन कराएं।
- व्रत रखने के दौरान मन ही मन में "ऊं नम: शिवाय" मंत्र का जाप करें।
- सावन में किसी नदी या तालाब पर जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं और साथ ही साथ मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें।
- सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
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विवाह में आने वाली अड़च होगी दूर
- विवाह में आ रही अड़चन दूर करने के लिए सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं। इससे विवाह के योग जल्दी बनते हैं।
- अगर सावन के महीने में शिव और पार्वती की संयुक्त पूजा की जाए तो न केवल विवाह शीघ्र होता है, बल्कि अगर वैवाहिक जीवन में बाधा है तो वो भी दूर हो जाती है।
संतान प्राप्ति
संतान प्राप्ति के लिए सावन में किसी भी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव का पूजन करें। इसके बाद गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं और प्रत्येक शिवलिंग का शिव स्त्रोत से 11 बार जलाभिषेक करें। इस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।
Created On :   10 July 2020 11:26 AM GMT