संतान सप्तमी आज, पुत्र शोक से उबरने देवकी ने रखा था ये व्रत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है। इस वर्ष ये व्रत सोमवार के दिन मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव एवं माता गौरी की पूजा का विधान होता है।
संतान की रक्षा और उन्नति के लिए
संतान सप्तमी व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु, शंकर और माता गौरी की पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है देवकी तथा वासुदेव ने लोमश ऋषि के कहने पर मारे गए पुत्रों के शोक से उबरने और अंतिम संतान की रक्षा के लिए संतान सप्तमी व्रत रखा था। यह राधा अष्टमी से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है, इसलिये इसे ललिता सप्तमी भी कहते हैं। संतान सप्तमी की व्रत कथा श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी, जिसमें उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है।
विधि-विधान से करें पूजन
इस दिन निराहार व्रत कर, दोपहर को चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्ध के रूप में गुड़ के पुए बनाये जाते हैं। संतान की रक्षा की कामना से इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
संतान सप्तमी कैसे करें व्रत
- प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- दोपहर को चौक पूर कर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी तथा नारियल आदि से शिव-पार्वती की पूजा करें।
- इस दिन नैवेद्य भोग के लिए खीर-पूरी तथा गुड़ के पुए रखें।
- रक्षा के लिए शिवजी को डोरा भी अर्पित करें।
- इस डोरे को शिवजी के वरदान के रूप में लेकर उसे धारण करके व्रत कथा सुनें।


Created On :   28 Aug 2017 8:07 AM IST