Sankashti Chaturthi: बुधवार होने से बढ़ा संकष्टी चतुर्थी का महत्व, जानें पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। वैसे तो हर पूजा के पहले गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना गया है, जो कि आज 08 जुलाई को है। बुधवार होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
बता दें कि श्रीगणेश की पूजा के लिए बुधवार का दिन शुभ माना जाता है और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में चांद के दर्शन जरूरी हैं, चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत और पूजा विधि के बारे में...
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पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- इसके बाद चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- अब जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें।
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- इसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें।
- इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें।
- पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
Created On :   8 July 2020 9:13 AM IST