इस व्रत से दूर होंगी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, जानें पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के अनुसार हर मास के दोनों पक्षों, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भक्तों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। प्रदोष जिस दिन पड़ता है उसी के अनुसार नाम होता है। इस बार यह व्रत 17 अक्टूबर, रविवार को पड़ रहा है।
रविवार के दिन प्रदोष व्रत आने की वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मुताबिक यह प्रदोष व्रत कलियुग में भगवान शिव की कृपा प्रदान करने वाला और अत्यधिक मंगलकारी माना गया है। रवि प्रदोष व्रत से कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है। आइए जानते हैं, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त...
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 17 अक्टूबर, रविवार शाम 05 बजकर 39 मिनट से
पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक
तिथि समापन: 18 अक्टूबर, सोमवार शाम 06 बजकर 07 मिनट तक
प्रदोष व्रत की विधि
- व्रती को सुबह उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए।
- जातक संध्या काल को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें।
- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें और यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं।
- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि विधान से करें।
- ऊँ नमः शिवाय मन्त्र का जप करते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें।
- ध्यान के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनाएं कथा समाप्ति के बाद हवन सामग्री मिलाकर 11 या 21 या 108 बार ऊँ ह्रीं क्लीं नमः - शिवाय स्वाहा मंत्र से आहुति कर दें।
- इसके बाद शिव जी की आरती करें।
- उपस्थित सभी जनों को आरती दें। सभी को प्रसाद वितरित करें।
- इसके बाद भोजन करें। भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का ही उपयोग करें।
Created On :   16 Oct 2021 12:25 PM GMT