प्रदोष व्रत आज: भगवान शिव की पूजा से मिलेगी नौकरी में तरक्की, जानें मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। माघ माह की त्रयोदशी 24 फरवरी, बुधवार को है यानी कि इस दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से भक्तों के अन्दर सकारात्मक विचार आते हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
बता दें कि प्रत्येक माह में दो प्रदोष आते हैं, वहीं दिन के नाम के तहत इसका नाम होता है। जैसे सोमवार को आने पर सोम प्रदोष। इसी तरह बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं।
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शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 24 फरवरी, शाम 06:05 मिनट पर
तिथि समाप्त: 25 फरवरी, को शाम 05:18 मिनट तक
प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि "एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगा। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करेगा, उस पर शिव जी की कृपा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
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प्रदोष व्रत की विधि
- प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबद सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
- नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भोले नाथ का स्मरण करें।
- व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
- इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं।
- उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।
- पूजन में भगवान शिव के मंत्र "ऊँ नम: शिवाय" का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।
Created On :   23 Feb 2021 7:20 AM GMT