फुलेरा दूज 2021: विवाह के लिए क्यों खास है ये दिन? जानें इस दिन का महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है। जो कि इस वर्ष 15 मार्च, सोमवार को मनाया जा रहा है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में विराजमान रहेगा। फुलेरा दूज का पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान इस दिन फूलों से खेलते हैं। इसीलिए इसे फुलेरा दूज कहा जाता है।
फुलेरा दूज होली के त्यौहार से जुड़ा एक अनुष्ठान रुपी पर्व है। इस दिन से होली के पर्व का आरम्भ हो जाता है और यह पर्व मध्य, उत्तर और पश्चिम भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में...
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विवाह के लिए श्रेष्ठ दिन
शास्त्रों के अनुसार, पूरे साल में फुलेरा दूज एक ऐसा दिन है जिस दिन विवाह करना सर्वोत्तम माना जाता है। इसे सर्दी के मौसम के बाद विवाह का अंतिम अबूझ मुहूर्त व शुभ दिन मानते हैं। इस दिन शादियों की धूम रहती है। मान्यता है कि इस दिन विवाह करने से दंपति को भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नहीं होती शुभ मुहूर्त की जरुरत
इस दिन वृंदावन और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में, ऐसा माना जाता है कि फुलेरा दूज का यह पूरा दिन ही शुभ है और इसलिए ज्योतिषी और पंडितों से पूजा के लिए शुभ समय पता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
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घरों में रंगोली सजाई जाती है
इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या के समय घरों में रंगोली सजाई जाती है। इसे घर में होली रखना कहा जाता है। होली आने वाली है इसलिए खुशियां मनाई जाती हैं। दूज के दिन किसान घरों के बच्चे अपने खेतों में उगी सरसों, मटर, चना और फुलवारियों के फूल तोड़कर लाते हैं। इन फूलों को भी घर में बनाई गई होली यानी रंगोली पर सजाया जाता है।
कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग
फुलोरा दूज के दिन आपसी प्रेम बढ़ाने के लिए राधा-कृष्ण जी का पूजन किया जाता है। इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है। इस दिन जो भक्त कृष्ण भक्ति करते हैं उनके जीवन में प्रेम की वर्षा होती है।
Created On :   14 March 2021 4:34 AM GMT