जानें इसका महत्व, इन बातों का रखें ध्यान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के छठवें माह भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। इसे परिवर्तिनी एकादशी, पद्मा एकादशी, वामन एकादशी, जयझूलनी एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। इस बार यह ग्यारस 17 सितंबर शुक्रवार यानी कि आज मनाई जा रही है।
एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान कृष्ण की भक्ति करने का विधान है। इस व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी तरह की कामना पूर्ण होती है तथा रोग और शोक मिट जाते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनी जाती है। एकादशी के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, ऐसा करने से जातकों को भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं इस ग्यारस के बारे में...
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ग्यारस का महत्व
डोल ग्यारस के इस अवसर पर कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है। भगवान कृष्ण की प्रतिमा को "डोल" (रथ) में विराजमान कर उनकी शोभायात्रा निकाली जाती है। इस अवसर पर कई गांव-नगर में मेले, चल समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के एक से बढ़कर एक नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल (रथ) निकाले जाते हैं।
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ध्यान रखें ये बातें
- इस दिन दान करना परम कल्याणकारी माना जाता है।
- रात के समय सोना नहीं चाहिए, भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद अन्न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
Created On :   17 Sept 2021 5:47 PM IST