राम नवमी : मर्यादा पुरुषोत्तम का प्राकट्य उत्सव, जानें पूजा का मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रीराम नवमी का संबंध भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिए हर युग में अवतार धारण किए। इन्हीं में एक अवतार उन्होंने भगवान श्री राम के रुप में लिया था। जिस दिन भगवान श्री हरि ने राम के रूप में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया वह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन था। यही कारण है कि इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
नवमी तिथि
चैत्र नवरात्रि का यह अंतिम दिन होता है और इस बार श्रीराम की जन्म तिथि का संयोग इस बार 13 और 14 अप्रैल को बन रहा है। ऐसे में यह पर्व दो दिन मनाया जाएगा। नवमी तिथि की शुरुआत 13 अप्रैल यानी कि आज शनिवार की सुबह लगभग 11:45 पर शुरू होगी, जो 14 अप्रैल, रविवार की सुबह लगभग 09:50 तक रहेगी। इसके अलावा 14 अप्रैल को सुबह दशमी तिथि की शुरुआत 09:51 मिनट पर होगी और दिनभर दशमी तिथि रहेगी।
श्रीराम नवमी पूजा का मुहूर्त :- (13 अप्रैल)
सुबह 11:17 से दोपहर 01:38 तक
दोपहर 01:38 से 03:32 तक
दोपहर 03:32 से शाम 05:01 तक
श्रीराम नवमी पूजा का मुहूर्त :- (14 अप्रैल)
सुबह 07:40 से 08:40 तक
सुबह 08:40 से 09:50 तक
नवमी तिथि समाप्त :-
नवमी तिथि 14 अप्रैल 9:35 पर समाप्त हो रही किन्तु उदय कालीन तिथि होने के कारण ये पूरे दिन मानी जाएगी
श्रीराम का अवतार क्यों और कैसे हुआ ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अवतार लिया था। उन्होंने मानव मात्र के कल्याण के लिए और समाज को मर्यादा में रहने का सन्देश दिया।
राजा दशरथ जिनका प्रताप दशों दिशाओं में व्याप्त रहा। उन्हें ऋषि मुनियों ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने का परामर्श दिया। पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के बाद यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने तीनों पत्नियों 1- कौशल्या 2- केकैयी और 3- तीसरी पत्नी सुमित्रा को दिया। तब कुछ समय बाद चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या ने भगवान श्रीराम को जन्म दिया और क्रमानुसार केकैयी ने भरत को सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
कैसे मनाया जाता है श्रीराम नवमी का ये पर्व :-
भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। पुरुषोत्तम यानि पुरुषों में श्रेष्ठ कहा जाता है। समाज में व्याप्त ऊंच नीच को कभी नहीं मानते थे। तभी तो वे शबरी के झूठे बेर खाते हैं। कभी केवट को गले लगाते हैं, तो कभी अहिल्या को तारते हैं। वेद शास्त्रों के ज्ञाता और तीनों लोकों में पराक्रमी, अनेक कलाओं में निपुण लंकापति रावण के अंहकार को ध्वस्त करने वाले पराक्रमी श्रीराम भगवान् का जन्मोत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
इस दिन भजन कीर्तन और भंडारे किए जाते हैं। भगवान् श्रीराम की कथा कही और सुनी जाती है। रामचरित मानस का अखण्ड पाठ करवाया जाता है। श्री रामरक्षा स्त्रोत का सामूहिक पाठ किया जाता है। कई स्थानों पर भगवान श्रीराम की प्रतिमा को झूले में रख कर झुलाया जाता है। रामनवमी पर अपने अराध्य को प्रसन्न करने इस दिन उपवास भी रखा जाता है। मान्यता है कि रामनवमी का उपवास रखने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है और पापों का नाश होता हैं।
Created On :   10 April 2019 10:14 AM GMT