मकर संक्रांति: आज मनाई जा रही संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य का बड़ा महत्व है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य सृष्टि को चलाने वाले एक प्रत्यक्ष देवता हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। ये आत्मा, पिता और सरकारी सेवा का कारक माना जाता है और सूर्य जब मकर राशि में आता है तब उत्तरायण कहलाता है। सूर्य के उत्तरायण होने अथवा मकर राशि में प्रवेश करने पर ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जो कि इस वर्ष 15 जनवरी यानी कि आज मनाई जा रही है।
संक्रांति पर्व के साथ ही धनु मलमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य शुरू होंगे। सूर्य देव 15 जनवरी रात 2 बजकर आठ मिनट पर उत्तरायण होंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस साल संक्रांति का यह पर्व सर्वाथ सिद्धि व रवि,कुमार योग का संयोग रहेगा। इस बार संक्रांति का वाहन गर्दभ होगा। बता दें कि इस दिन दान धर्म का बहुत महत्व होता है।
शुभ मुहूर्त:
पुण्य काल - सुबह 07:15 से शाम 05:46 बजे तक
अवधि - 10 घण्टे 31 मिनट्स
महा पुण्य काल - सुबह 07:15 से रात 09:00 बजे तक
अवधि - 01 घण्टा 45 मिनट्स
पूजा विधि
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस दिन
तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए। यदि संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस दिन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है। स्नान के बाद
भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए।
इन मंत्रों का करें उच्चारण
. ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
. ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:
. इसके अलावा गायत्री मंत्र का उच्चारण भी किया जा सकता है।
दान-पुण्य का महत्व
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने का भी विधान है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। कई जगहोंं पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है।
Created On :   9 Jan 2020 5:32 AM GMT