पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी का है बड़ा महत्व, जानें पूजा की विधि और मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्चिन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक इंदिरा एकादशी हर साल सितंबर महीने में आती है, जो कि इस बार यह एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। इस व्रत का पितृपक्ष के समय में अत्यधिक महत्व है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। यदि आप इस व्रत का पुण्य पितरों को दान कर देते हैं, तो उनको भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन शालिग्राम की पूजा कर व्रत रखने का विधान है।कहते हैं कि अगर कोई पूर्वज जाने-अंजाने किए गए अपने किसी पाप की वजह से यमराज के पास अपने पाप का दंड भोग रहे हों तो विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करने उन्हें मुक्ति दिलाई जा सकती है। आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में...
पूजा मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 सितंबर, मंगलवार को रात 09 बजकर 26 मिनट से
एकादशी तिथि समापन: 21 सितंबर, बुधवार, रात 11 बजकर 34 मिनट तक
किस दिन रखें व्रतः उदया तिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी व्रत 21 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा
पूजा विधि
- इंदिरा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रिया के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- अब शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं।
- शालिग्राम की मूर्ति के सामने विधिपूर्वक श्राद्ध करें।
- धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि से भगवान ऋषिकेश की पूजा करें।
- पात्र ब्राह्मण को फलाहारी भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें।
- दिन भर व्रत करें और केवल एक ही बार भोजन ग्रहण करें।
- दोपहर के समय किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें।
- पूरी रात जागरण करें और भजन गाएं।
- अगले दिन यानी कि द्वादश को सुबह भगवान की पूजा करें।
- फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।
Created On :   20 Sept 2022 4:40 AM GMT