गुरु ग्रह विशेष : कुंडली के 12 भावों में गुरु ग्रह का प्रभाव और उपाय
डिजिटल डेस्क, भोपाल। गुरु ग्रह नवग्रहों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय होने के कारण गुरु के नाम से जाना जाता है। यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है और सूर्य को छोड़कर, सभी अन्य ग्रहों से बड़ा है। इसे सूर्य की एक परिक्रमा करने में पृथ्वी के समयानुसार बारह वर्षों का समय लगता है। किसी भी मनुष्य की कुंडली के विभिन्न भावों में गुरु का प्रभाव उस व्यक्ति के लिए अच्छा और बुरा दोनों होता है। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बृहस्पति का वर्ण पीला, परंतु नेत्र और केश कुछ भूरापन लिए हुए होते हैं।
यह समस्त ग्रहों में सर्वाधिक बलशाली और अत्यंत शुभ माना जाता है। इसकी वृत्ति कोमल होती है और यह संपत्ति, ज्ञान का प्रदाता और मानवों का कल्याण करने वाला ग्रह माना गया है। इसे देवताओं का गुरु भी माना गया है। यह न्याय, धर्म और नीति का प्रतीक, महान पंडित, वृहत उदर, गौर वर्ण और स्थूल शरीर वाला, चतुर, सत्व गुण प्रधान, परमार्थी, ब्राह्मण जाति, आकाश तत्व वाला द्विपद ग्रह है।
इसका वार बृहस्पति तथा भाग्यांक 3 हैं। यह ग्रह मीठे रस का अधिपति और हेमंत ऋतु का स्वामी है। कुंडली के बारह भावों में स्थित गुरु का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कुंडली के विभिन्न भावों में गुरु के मौजूद रहने का प्रभाव और दोष निवारण :
प्रथम भाव में गुरु
जिस जातक के पहले भाव में गुरु (बृहस्पति) होता है वह अपने गुणों से चारों ओर आदर की दृष्टि से देखा जाता है। यह जातक को अमीर बनाता है, भले ही वह सीखने और शिक्षा से वंचित हो। जातक स्वस्थ और दुश्मनों से निर्भीक रहने वाला होता है। जातक अपने स्वयं के प्रयासों, मित्रों की मदद और सरकारी सहयोग से हर आठवें साल में बड़ी तरक्की प्राप्त करता है। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो विवाह के बाद सफलता और समृद्धि मिलती है। बृहस्पति पहले भाव में हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक को स्वाथ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। बृहस्पति पहले भाव में हो और राहू आठवें भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण होती है।
उपाय :
- बुध, शुक्र और शनि से सम्बंधित वस्तुएं धार्मिक स्थानों पर लोगों के बीच बांटे।
- गौ सेवा करें और अछूतों को दान देकर मदद करें।
- यदि शनि पांचवे भाव में हो तो जातक घर का निर्माण न करें।
- यदि शनि नवम भाव में हो तो शनि से संबंधित चीजें जैसे मशीनरी आदि न खरीदें।
- यदि शनि ग्यारहवें या बारहवें भाव में हो तो शराब, मांस और अंडे का प्रयोग वर्जित है।
दूसरे भाव में गुरु
अगर कुंडली के दूसरे भाव में गुरु हो तो जातक कवि होता है। उसमें राज्य संचालन करने की शक्ति होती है। इस घर के परिणाम बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होते हैं भले ही शुक्र कुण्डली में कहीं भी बैठा हो। शुक्र और बृहस्पति एक दूसरे के शत्रु हैं, इसलिए दोनों एक दूसरे पर प्रतिकूल असर डालते हैं। नतीजतन, यदि जातक सोने के या आभूषणों के व्यापार में संलग्न होता है, तो शुक्र से संबंधित चीजें जैसे पत्नी, धन और संपत्ति आदि नष्ट हो जाएगी। यदि जातक की पत्नी भी उसके साथ है तो जातक सम्मान और धन कमाता जाएगा बावजूद इसके उसकी पत्नी और परिवार के लोग स्वास्थ्य समस्या या अन्य परेशानियों से ग्रस्त रहेंगे।
उपाय :
- गरीबों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने से समृद्धि बढ़ेगी।
- दशम भाव में स्थित शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए सांपों को दूध पिलाएं।
- यदि आपके घर के सामने की सड़क में कोई गड्ढा है तो उसे भर दें।
तीसरे भाव में गुरु
कुंडली के तीसरे भाव में गुरु हो तो वह जातक को नीच स्वभाव का बना देता है। परंतु उसे सहोदर भ्राताओं का सुख भी प्राप्त होता है। तीसरे भाव का बृहस्पति जातक को समझदार और अमीर बनाता है, जातक अपने पूरे जीवन काल में सरकार से निरंतर आय प्राप्त करता रहता है। नवम भाव में स्थित शनि जातक को दीर्घायु बनाता है। यदि शनि दूसरे भाव में हो तो जातक बहुत चतुर और चालाक होता है। चतुर्थ भाव में स्थित शनि यह इशारा करता है कि जातक का पैसा और धन उसके अपने दोस्तों के द्वारा लूट लिया जाएगा। यदि बृहस्पति तीसरे भाव में किसी पापी ग्रह से पीड़ित है तो जातक अपने किसी करीबी के कारण बरबाद हो जाएगा और कर्जदार हो जाएगा।
उपाय :
- देवी दुर्गा की पूजा करें और कन्याओं को मिठाई और फल देते हुए उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें।
- चापलूसों से दूर रहें।
चौथे भाव में गुरु
कुंडली के चौथे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति लेखक, प्रवासी, योगी, आस्तिक, कामी, पर्यटनशील, विदेश प्रिय तथा महिलाओं के पीछे-पीछे घूमने वाला होता है। चौथा घर बृहस्पति के मित्र चंद्रमा का है। बृहस्पति इस घर में उच्च का होता है। इसलिए बृहस्पति यहां बहुत अच्छे परिणाम देता है और जातक को दूसरों के भाग्य भविष्य तय करने की शक्तियां प्रदान करता है। जातक पैसा, धन, और बहुत संपत्ति के साथ-साथ सरकार की ओर से सम्मान का अधिकारी होता है। जातक को संकट के समय में दैवीय सहायता प्राप्त होगी। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी जातक की समृद्धि और धन में भी वृद्धि होगी।
उपाय :
- घर के भीतर मंदिर ना बनवाएं, इससे गरीबी और परेशानी पूर्ण वैवाहिक जीवन का सामना करना पड़ेगा।
- बड़ों की सेवा करें, इससे सुख समृद्धि आएगी और गुरु के विपरीत प्रभाव से बचा जा सकेगा।
- सांप को दूध पिलाएं।
- कभी भी नंगे बदन न रहें।
पांचवें भाव में गुरु
जातक की कुंडली में अगर गुरु पांचवें भाव में हो तो जातक विलासी और आराम पसंद होता है। यह घर बृहस्पति और सूर्य से संबंधित होता है। जातक की समृद्धि में वृद्धि पुत्र प्राप्ति के बाद होगी। वास्तव में जातक के जितने अधिक पुत्र होंगे वह उतना ही अधिक समृद्धशाली होगा। पांचवां घर सूर्य का अपना घर होता है और इस घर में सूर्य, केतू और बृहस्पति मिश्रित परिणाम देते हैं। लेकिन यदि बुध, शुक्र और राहू दूसरे, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में हों तो सूर्य, केतू और बृहस्पति खराब परिणाम देंगे।
उपाय :
- किसी भी तरह का दान या उपहार स्वीकार न करें।
- पुजारियों और साधुओं की सेवा करें।
छठवें भाव में गुरु
यदि जातक की कुंडली के छठवें भाव में गुरु हो तो ऐसा जातक हमेशा रोगों से घिरा रहता है। पर मुकदमे आदि में जीत हासिल करता है और सदा अपने शत्रुओं को मुंह के बल गिराने की क्षमता रखता है। छठवां घर बुध का होता है और केतु का भी इस घर पर प्रभाव माना गया है। इसलिए यह घर बुध, बृहस्पति और केतु का संयुक्त प्रभाव देगा। यदि बृहस्पति शुभ होगा तो जातक पवित्र स्वभाव का होगा। उसे बिना मांगे जीवन में सब कुछ मिल जाएगा। यदि बृहस्पति छठवें घर में हो और केतु शुभ हो तो जातक स्वार्थी हो जाएगा।
उपाय :
- बड़ों के नाम पर दान-दक्षिणा करें जातक के लिए फायदेमंद होगा।
- बृहस्पति से संबंधित वस्तुएं मंदिर में भेंट करें।
- मुर्गों को दाना डालें।
- पुजारी को कपड़े भेंट करें।
सातवें भाव में गुरु
अगर किसी जातक की कुंडली के सातवें भाव में गुरु हो तो जातक की बुद्धि श्रेष्ठ होती है। ऐसा व्यक्ति भाग्यवान, नम्र, धैर्यवान होता है। सातवां घर शुक्र का होता है, अत: यह मिश्रित परिणाम देगा। जातक का भाग्योदय शादी के बाद होगा और जातक धार्मिक कार्यों में शामिल होगा। घर के मामले में मिलने वाला अच्छा परिणाम चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि सूर्य पहले भाव में हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी और आराम पसंद होगा। लेकिन यदि बृहस्पति सातवें भाव में नीच का हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक चोर हो सकता है। यदि बुध नौवें भाव में हो तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होगा।
उपाय :
- जातक को कभी भी किसी को कपड़े दान नहीं करने चाहिए नहीं तो जातक बड़ी गरीबी की चपेट में आ जाएगा।
- जातक को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- घर में किसी भी देवता की मूर्ति न रखें।
- हमेशा अपने साथ किसी पीले कपड़े में बांध कर सोना रखें।
- पीले कपड़े पहने हुए साधु और फकीरों से दूर रहें।
आठवें भाव में गुरु
जातक की कुंडली के आठवें भाव में गुरु हो तो जातक दीर्घायु होता है तथा ऐसा जातक अधिक समय तक पिता के घर में नहीं रहता है। इस घर में गुरु अच्छे परिणाम नहीं देता लेकिन जातक को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। संकट के समय जातक को ईश्वर की सहायता मिलेगी। धार्मिक होने से जातक के भाग्य में वृद्धि होगी। यदि बुध, शुक्र या राहू दूसरे, पांचवें, नौवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव में हो तो जातक के पिता बीमार होंगे और स्वयं जातक को प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना पड़ेगा।
उपाय :
- सोना पहनें, यदि जातक सोना पहनता है तो दुखी या बीमार नहीं होगा।
- राहु से संबंधित चीजें जैसे गेहूं, जौ, नारियल आदि पानी में बहाएं।
- श्मशान में पीपल का पेड़ लगाएं।
- मंदिर में घी, आलू और कपूर दान करें।
नौवें भाव में गुरु
जातक के नौवें भाव में गुरु हो तो जातक सुंदर मकान का निर्माण करवाता है। ऐसा जातक भाई-बंधुओं से स्नेह रखने वाला होता है तथा राज्य का प्रिय होता है। नौवां घर बृहस्पति से विशेष रूप से प्रभावित होता है. इसलिए इस भाव वाला जातक प्रसिद्ध होता है और एक अमीर परिवार में पैदा होता है। जातक अपनी जुबान का पक्का और दीर्घायु होगा, उसके बच्चे बड़े अच्छे होंगे। यदि बृहस्पति का शत्रु ग्रह पहले, पांचवें या चौथे भाव में हो तो बृहस्पति बुरे परिणाम देगा।
उपाय :
- हर रोज मंदिर जाना चाहिए और श्रद्धा भाव से भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
- शराब के सेवन से सर्वदा बचना चाहिए।
- बहते पानी में चावल बहाना अत्यंत शुभकारी होता है।
दसवें भाव में गुर
गुरु यदि दसवें भाव में हो तो जातक को भूमिपति एवं भवन प्रेमी बना देता है। ऐसे व्यक्ति चित्रकला में निपुण होते हैं। यह भाव शनि का घर होता है, इसलिए जातक जब खुश होगा तो शनि के गुणों को आत्मसात करेगा। जातक चालाक और धूर्त होगा बृहस्पति के अच्छे परिणाम का आनंद ले पाएगा। यदि सूर्य चौथे भाव में होगा तो बृहस्पति बहुत अच्छा परिणाम देगा। चौथे भाव के शुक्र और मंगल जातक के कई विवाह सुनिश्चित करते हैं। यदि 2, 4 और 6 भावों में मित्र ग्रह हों तो पैसों और आर्थिक मामलों में बृहस्पति अत्यधिक लाभकारी परिणाम प्रदान करता है।
उपाय :
- कोई भी काम शुरू करने से पहले अपनी नाक साफ करें।
- नदी के बहते पानी में 43 दिनों तक लगातार तांबे के सिक्के बहाएं।
- धार्मिक स्थानों में बादाम बाटें।
- घर के भीतर मंदिर बनाकर मूर्तियां स्थापित न करें।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
ग्यारहवें भाव में गुरु
कुंडली के ग्यारहवें भाव में गुरु हो तो जातक ऐश्वर्यवान, पिता के धन को बढ़ाने वाला, व्यापार में दक्षता लिए होता है। इस घर में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों बुध, शुक्र और राहु से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नतीजतन, जातक की पत्नी दुखी रहेगी। इसी तरह, बहनें, बेटियां और बुआ भी दुखी रहेंगी। बुध सही स्थिति में है तो भी जातक कर्जदार होता है। जातक तभी आराम से रह पाएगा जब वह पिता, भाइयों, बहनों और मां के साथ साथ एक संयुक्त परिवार में रहे।
उपाय :
- हमेशा अपने शरीर पर सोने के आभूषण धारण करें।
- हाथों या पैरों में तांबे का कड़ा पहनें।
- पीपल के पेड़ की जड़ों में जल डालें।
बारहवें भाव में गुरु
जातक की कुंडली के बारहवें भाव में गुरु हो तो ऐसा जातक आलसी, कम खर्च करने वाला, दुष्ट स्वभाव वाला होता है। जातक लोभी और लालची भी होता है। बारहवां घर बृहस्पति और राहु के संयुक्त प्रभाव में होता है जो कि एक दूसरे के शत्रु होते हैं यदि जातक अच्छा आचरण करता है, धार्मिक प्रथाओं को मानता है और सभी के लिए अच्छा चाहता है, तो वह खुशहाल होगा और रात में आरामदायक नींद का आनंद ले पाएगा। जातक अमीर और शक्तिशाली होगा। शनि के दुष्कर्मों से बचाव करने पर मशीनरी, मोटर, ट्रक और कार से सम्बंधित काम फायदेमंद रहेंगे।
उपाय :
- गुरु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए किसी भी मामले में झूठी गवाही से बचें।
- जातक को चाहिए कि वह साधुओं, गुरुओं और पीपल के पेड़ की सेवा करे।
- रात में अपने बिस्तर के सिरहाने पानी और सौंफ रखें और सुबह किसी कटीले पेड़ की जड़ में डाल दें।
Created On :   17 April 2018 12:06 PM IST