तारा देवी सहित इन स्वरूपों की करें आराधना, जानें पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा पर्व नवरात्रि को माना जाता है। वैसे तो सालभर में सबसे ज्यादा शारदीय नवरात्रि को माना जाता है, जब मां दुर्गा की झांकियां सजाई जाती हैं। वहीं चैत्र नवरात्र के बारे में भी लगभग सभी लोग जानते हैं। लेकिन गुप्त नवरात्रि के बारे में कम लोग ही जानते हैं, जो कि सालभर में दो बार ही आती हैं। माघ व आषाढ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
फिलहाल आज यानी कि 02 फरवरी से गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इस नवरात्रि में तारा देवी सहित त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी की गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है।
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विशेष योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। माना जाता है कि, इस योग में पूजा करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है। इस साल मां दुर्गा नौका (नाव) पर सवार होकर आई हैं और गमन हाथी पर होगा।
गुप्त नवरात्रि की पूजा
पंडित और ज्योतिष के अनुसार गुप्त नवरात्रि की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करना चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह-शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नौ दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।
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विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है।
Created On :   2 Feb 2022 3:45 PM IST