तारा देवी: सिद्धि प्राप्त करने यहां गुप्त साधना करने आते हैं साधक

डिजिटल डेस्क, शिमला। गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा, अनुष्ठान के साथ सर्वाधिक महत्व है तो वह है गुप्ता पूजा कर सिद्धियां प्राप्त करने का। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में गुप्त नवरात्रि का सबसे ज्यादा उत्साह देखने मिलता है। कहा जाता है कि इस दौरान पूजा करने से देवी मां प्रार्थना अवश्य सुनती हैं। घट स्थापना के अतिरिक्त माता की विशेष पूजा, व्रत नौ दिनों तक किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में एक ऐसी ही मंदिर है जहां गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक दूर-दूर से पहुंचते हैं। यह स्थाना तारा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
यहां पर है स्थित
तारा देवी का प्रसिद्ध मंदिर शिमला-कालका रोड पर स्थित है। यह स्थान पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है। इस स्थान को लेकर किवदंतियां हैं कि यह मंदिर करीब ढाई सौ साल से भी अधिक साल पहले बनाया गया था और तारा देवी समर्पित है। यह मंदिर एक पर्वत पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यदि तारा देवी प्रसन्न हो जाएं तो विशेष सिद्धियों का वरदान देती हैं।
भूपेंद्र सिंह को दिए थे दर्शन
बताया जाता है कि सेन काल का शासक पश्चिम बंगाल से मां तारा की मूर्ति यहां लाया था। सेन वंश के शासक भूपेंद्र सिंह जब शिकार खेलने गए थे तब तारा देवी ने बजरंगबली के साथ प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए और उसी स्थान पर उनका मंदिर बनवाने के लिए कहा, जिससे की भक्त यहां आकर उनके दर्शन आसानी से कर सकें।
साधक करते हैं गुप्त तप
ऐसा भी बताया जाता है कि पहले यहां मां तारा की एक लकड़ी की मूर्ति विराजमान थी, जिसे बाद के शासकों ने अष्टधातु की प्रतिमा में परिवर्तित किया। सिद्धि प्राप्त करने की कामना से मां तारा को प्रसन्न करने यहां गुप्त साधना करने के लिए साधक आते हैं। कहा जाता है कि आसपास के जंगलों में साधक तप करते हैं, जिन्हें ढूंढ पाना संभव नही होता, ये मां तारा को प्रसन्न कर सिद्धि अर्जित करते हैं।

Created On :   21 Jan 2018 9:39 AM IST