इस चतुर्थी पर 59 साल बाद बना ये दुर्लभ योग, जानें स्थापना की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को शुभकर्ता के रूप में पूजा जाता है। बप्पा को प्रथम पूज्य कहा गया है यानी कि किसी भी देव से पूर्व इनकी पूजा की जाती है। वैसे तो गणेश जी के लिए हर दिन शुभ है, लेकिन गणेश चतुर्थी का इंतजार साल भर से होता है, जब शुरू होता है गणेश उत्सव। इस वर्ष यह उत्सव 10 सितंबर 2021 यानी कि शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 59 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ योग बना है।
आपको बता दें कि, इस दिन श्री गणेश का घर- घर में आगमन होता है। विशेष मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना की जाती है। इसके बाद पूरे 10 दिन तक यह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था इसी कारण से यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है। आइए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
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बना ये दुर्लभ योग
पंचांग गणना के अनुसार, इस बार गणेश चतुर्थी तिथि चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। ज्योतिषार्य के अनुसार, इस दिन बुध और मंगल ग्रह कन्या राशि में युति होगी। साथ ही शुक्र और चंद्रमा की तुला राशि में युति होगी। इस दिन सूर्य अपनी राशि यानी सिंह में और बुध अपनी राशि कन्या में, शनि का स्वयं की राशि मकर में गोचर करना और शुक्र का अपनी राशि तुला में रहना विशेष संयोग का निर्माण कर रहा है। इसके अलावा दो बड़े ग्रह शनि और गुरु का एक साथ वक्री होना भी शुभ संयोग का संकेत है। इस तरह का योग 59 वर्ष पहले बना था।
ऐसे करें स्थापना
- सबसे पहले स्थापना का संकल्प लें और अपने दाएं हाथ में अक्षत (चावल), गंगाजल, पुष्प और कुछ द्रव्य लेकर संकल्प करें कि हम गणेश जी को अपने घर में (तीन, पांच, सात या दस दिन के लिए) विराजमान करने जा रहे हैं।
- "ऊं गणेशाय नम:" मंत्र का जाप करें।
- संकल्प लेने के बाद श्री गणेश जी की मूर्ति ले आएं।
- जिस स्थान पर गणेश जी को विराजमान करना हो उस स्थान को पवित्र और साफ कर लें।
- कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। हल्दी की चार बिंदी लगाएं।
- एक मुट्ठी अक्षत (चावल) रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम, जामुन के पत्तों एवं अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं।
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- एक तांबे का कलश पानी भरकर उसमें एक सिक्का एक सुपारी और लाल पुष्प डाल दें फिर आम के पांच, सात, या नौ पत्ते और नारियल से कलश को सजाएं।
- जब गजानन को लेने जाएं तो स्वच्छ और नवीन वस्त्र धारण करें। यथासंभव हो तो चांदी, तांबे या पीतल की थाली में स्वास्तिक बनाकर, फूल-मालाओं से सजाकर उसमें गणपति को विराजमान कर अपने घर लाएं।
- प्रतिमा बड़ी हो तो आप अपने हाथों में या सर पर रखकर भी ला सकते हैं। जब घर में विराजमान करें तो उनका मंगलगान या कीर्तन करें।
- गणपति को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। लाल पुष्प चढ़ाएं। प्रतिदिन की पूजा में प्रसाद के लिये पंच मेवा अवश्य रखें।
- गणेश जी के आगे एक छोटी कटोरी में पांच छोटी इलायची और पांच कमलगट्टे रख दें। गणेश जी जब तक स्थापित हैं इनको गणपति के आगे ही रहने दें।
- बाद में इसे एक लाल कपड़े में रखकर पूजा स्थल पर रहने दें और छोटी इलायची को गणपति का प्रसाद मानते हुए ग्रहण कर लें।
Created On :   7 Sept 2021 5:10 PM IST