द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के व्रत से मिटेंगे सारे पाप, जानें पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 फरवरी 2023 को रखा जाएगा। इस दिन गणेश भगवान के छठवें रूप 'द्विजप्रिय' की पूजा पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन उपासना से घर में सुख-शांति का वास होता है और नकारात्मकता दूर होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश भगवान के इस रूप की पूजा अर्चना करने से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...
पूजन विधि
- इस दिन जातक को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।
- नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान गणेश को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाएं।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें।
- इसके बाद सभी को लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
- मालूम हो कि इस व्रत या उपवास को चंद्र दर्शन के बाद तोड़ा जाता है।
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Created On :   6 Feb 2023 5:37 AM GMT