व्रत: आज है बुध प्रदोष, जानें इसका महत्व और पूजा विधि

Budh Pradosh Vrat: Learn its importance and method of worship
व्रत: आज है बुध प्रदोष, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
व्रत: आज है बुध प्रदोष, जानें इसका महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। वहीं बुधवार के दिन होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस बार यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी कि 22 जनवरी यानी कि आज है। त्रयोदशी अथवा प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है और साल 2020 का यह दूसरा प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है।

माना जाता है कि त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जो विधि विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में...

महत्व
त्रयोदशी अर्थात् प्रदोष का व्रत करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। उसके सम्पूर्ण पापों का नाश इस व्रत से हो जाता है। इस व्रत को करने से सुहागन नारियों का सुहाग सदा अटल रहता है, बंदी कारागार से छूट जाता है। इस व्रत को जो भी स्त्री, पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते हैं, उनकी सभी कामनाएं महादेव शंकर जी पूरी करते हैं।

पूजन सामग्री 
धूप, दीप, घी, सफेद पुष्प, सफेद फूलों की माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, जल से भरा हुआ कलश, कर्पुर, आरती के लए थाली, बेल-पत्र, धतुरा, भांग, हवन सामग्री, आम की लकड़ी।

बुध प्रदोष व्रत की विधि
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प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। 
- पूरे दिन अंतरमन में “ऊँ नम: शिवाय” का जप करें। दिनभर निराहार रहें।  
- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल अर्थात सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करें। 
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है।  
- व्रत करने वाले को संध्या को पुन: स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए।  
- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें। 
- वैसे व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जाकर पूजा कर सकते हैं। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। 
- पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। 
- एक कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठकर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। 
- “ऊँ नम: शिवाय” का स्मरण करते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।  
- इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिव जी का ध्यान करें। 
- ध्यान के बाद, बुध प्रदोष की कथा सुनें और सुनायें। 
- हवन सामग्री मिलाकर 11, 21 या 108 बार “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा” मंत्र से आहुति दें। 
- इसके बाद शिव जी की आरती करें। उपस्थित जनों को आरती दें। 
- सभी को प्रसादि वितरित कर बाद में भोजन करें। भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का ही उपयोग करें।

Created On :   22 Jan 2020 8:08 AM IST

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