इस पूजा से मिलेगी पापों से मुक्ति, माता लक्ष्मी और श्रीहिर का मिलेगा आशीर्वाद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है, जो कि इस वर्ष 02 नवंबर यानी कि आज मनाई जा रही है। इसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूरे उत्तर व मध्य भारत में इस नवमी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मान्यता यह भी है कि, आंवला नवमी के दिन आंवले का पौधा जरूर लगाना चाहिए। ऐसा करना आपके लिए लाभकारी रहेगा। पौधे को मंदिर या किसी पार्क में लगाना चाहिए और प्रतिदिन उसकी सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। आइए आंवला नवमी की कथा और पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
आंवला नवमी पूजा करने की विधि
महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि कर आंवला वृक्ष के समीप जाती हैं। उसके आसपास साफ-सफाई कर आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करती हैं। उसकी जड़ में कच्चा दूध डाल कर पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करतीं हैं और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली को आठ परिक्रमा करते हुए लपेटतीं हैं। कई जगह महिलाएं 108 परिक्रमा भी की करती हैं। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए आंवला वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन करतीं है।
पुराणों में आंवला का उल्लेख
पुराणों में दिया गया है कि जब सम्पूर्ण पृथ्वी जलमग्न हो गई थी और इस पर जीवन नहीं था, तब ब्रम्हा जी कमल पुष्प पर विराजमान होकर निराकार परब्रम्हा की तपस्या कर रहे थे। उस समय ब्रम्हा जी के नेत्रों से परमब्रह्म ईश्वर के प्रेम अनुराग में टपके आंसू और ब्रम्हा जी के इन्ही आंसूओं से आंवले का वृक्ष उत्पन्न हुआ, जिससे इस बहुगुणी चमत्कारी औषधीय फल की प्राप्ति हुई।
आयुर्वेद और विज्ञान में भी आंवले का महत्व बताया गया है और आचार्य चरक ने तो आंवले को एक अमृत फल कहा है, जो कई रोगों को नष्ट करने में सफल पाया गया है। साथ ही विज्ञान के अनुसार भी आंवले में विटामिन सी की बहुतायता होती है। जो कि इसे उबालने के बाद भी इसमें पूर्ण रूप से बना रहता है। यह आपके शरीर में रक्तकोषाणुओं के निर्माण को बढ़ाता है, जिस कारण शरीर स्वस्थ बना रहता है।
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Created On :   1 Nov 2022 10:38 PM IST