जीवित्पुत्रिका व्रत: जानें क्यों किया जाता है ये व्रत, कैसे करें पूजा और क्या है मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। इस वर्ष ये व्रत 06 अक्टूबर, शुक्रवार यानि कि आज है। इस व्रत को मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र और अच्छी जिंदगी के लिए रखती हैं। इस व्रत को तीन दिन तक किया जाता है। इस व्रत में तीन दिन तक उपवास किया जाता है।
महिलाएं व्रत के दूसरे दिन और पूरी रात में जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं। पहले दिन महिलाएं स्नान करने के बाद भोजन करती हैं और फिर दिन भर कुछ नहीं खाती हैं। व्रत का दूसरा दिन अष्टमी को पड़ता है और यही मुख्य दिन होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के तीसरे दिन पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि के बारे में...
जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 6 अक्टूबर शुक्रवार सुबह 6 बजकर 34 मिनट से
तिथि समापन: 7 अक्टूबर सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और फिर भोजन ग्रहण करें, फिर पूरा दिन कुछ भी ना खाएं।
दूसरे दिन सुबह स्नान करके पूजा कर पूरे दिन भर निर्जला व्रत रखें।
तीसरे दिन सुबह स्नान करके सूर्य को अर्घ दें व जैसे छठ पूजा में व्रत पारण के पहले पूजा की जाती है वैसे ही पूजन करके पारण करें, जिसके बाद भोजन किया जाता है। इसके बाद व्रत के तीसरे दिन मरुत की रोटी, झोर भात व नोनी का साग खाएं।
व्रत वाले दिन प्रदोष काल में महिलाएं जीमूत वाहन का पूजन करें और फिर जीवित्पुत्रिका व्रत कथा सुनें।
कथा सुनना सबसे ज्यादा जरूरी है इसलिए कथा को ध्यान लगा कर सुनें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।
Created On :   6 Oct 2023 12:32 PM GMT