गणाधिप संकष्टी चतुर्थी: इस विधि से करें विघ्नहर्ता की पूजा, इच्छाएं होंगी पूर्ण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इनमें से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। वहीं इस माह में संकष्टी चतुर्थी 30 नवंबर 2023, गुरुवार को पड़ रही है। इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। माना जाता है कि, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूरे विधि- विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
जिस व्यक्ति पर विघ्नहर्ता की कृपा होती है उसके जीवन में आ रही हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा (घास) अर्पित करने के साथ ही विधि-विधान से पूजा करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
सुबह की पूजा: सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट तक
शाम की पूजा: शाम 04 बजकर 05 मिनट से रात 07 बजकर 05 मिनट तक
पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   29 Nov 2023 12:35 PM GMT