बात अधिकार की: मेघालय : पुरुषों को भी मिले पैतृक संपत्ति में समान अधिकार
रघुनाथ सिंह लोधी, शिलांग। महिलाओं के समान पुरुषों को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार की दरकार की जा रही है। हालात यह बन गए हैं कि पुरुषों को न्याय दिलाने के आह्वान के साथ नया कानून बनाने की तैयारी चल रही है। बकायदा इस संबंध में विशेष विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है। उम्मीद की जा रही है, यह कानून एक साल में तैयार हो जाएगा।
महिला होती है परिवार का मुखिया : हम बात कर रहे हैं मेघालय के आदिवासी खासी समुदाय की। खासी समुदाय में मातृ सत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था प्रणाली है। परिवार की मुखिया महिला होती है। पैतृक संपत्ति में भी महिला का ही पहला अधिकार है। महिला व खासी समुदाय को न्याय के लिए खासी ऑटोनामस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (केएचएडीसी) का गठन किया गया है। उसे खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद कहा जाता है। इस स्वायत्त परिषद को न्यायिक अधिकार भी है। खासी समुदाय खासी हिल्स ऑटोनामस डिस्टिक्ट काउंसिल के डिप्टी सीईम अर्थात उपमुख्य कार्यकारी सदस्य पाहनियाड सिंह सीयम सामाजिक स्थिति का जिक्र करते हुए नए कानून की आवश्यकता पर जोर देते हैं। डिप्टी सीईएम सियम कहते हैं, मातृसत्ताक व्यवस्था को चुनौती देने का काेई विषय नहीं है, लेकिन संपत्ति मामले में मेघालय में आ रही विविध अड़चनों को देखते हुए नया कानून बनाने की आवश्यकता है।
सियम यह भी कहते हैं, मैं जिस वैली अर्थात वाड़ी का डिप्टी राजा हूं, उसके कबिले का नेतृत्व मेरा बेटा नहीं कर पाएगा। व्यवस्था कुछ ऐसी है कि हमारी पैतृक संपत्ति का सर्वाधिकार मेरी बहन के पास रहेगा। मेरी बहन ही संपत्ति का उत्तराधिकारी तय करेगी। स्वाभाविक है कि बहन अपने बेटे को ही डिप्टी राजा का अधिकार देगी। परिषद के चेयरमैन लांम फ्रांग ब्ला कहते हैं महिला समाज विकास के लिए सरकार के प्रयास सराहनीय है। महिला अारक्षण कानून का पालन करना होगा। उसी के साथ पुरुषों के अधिकार का भी ध्यान रखना होगा। वे यह भी कहते हैं कि खासी समुदाय के मान्यताओं और परंपराओं के जतन के लिए स्वायत्त परिषद का भरपूर योगदान है।
क्या है स्वायत्त परिषद : खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र व सामाजिक विकास के लिए विशेष योगदान किया गया है। इसके अंतर्गत मेघालय के पश्चिमी खासी जिले और री भाेई जिलों को शामिल किया गया है। यह मेघालय की 3 स्वायत्त जिला परिषदों और भारत की 14 स्वायत्त संस्थाओं में से एक है। इस परिषद में 30 सदस्य होते हैं। 30 सदस्यों में एक सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनित रहता है। बाकी चुने और नियुक्त किए गए रहते हैं। सर्वदलीय सदस्य रहते हैं। इस परिषद की विशेष न्याय व्यवस्था है। खासी समुदाय से संबंधित विवाद या अपराध के मामले निपटाने के लिए यह परिषद न्यायालय की भूमिका भी निभाती है।
Created On :   2 Nov 2023 12:23 PM IST