कोंगथोंग: यहां लोगों का नाम नहीं- धुन है पहचान, तंबाकू ही नहीं आपसी विवाद से भी मुक्त है पूरा गांव

यहां लोगों का नाम नहीं- धुन है पहचान, तंबाकू ही नहीं आपसी विवाद से भी मुक्त है पूरा गांव
  • नई बहुओं को होती है परेशानी
  • ग्रामीण पर्यटन का नमूना बना गांव
  • कोंगथोंग में फिल्मों की शूटिंग कराना चाहते हैं सांसद सिन्हा

डिजिटल डेस्क, शिलांग, अजीत कुमार। भारत भांति-भांति की परंपराओं और संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। मेघालय की पूर्वी खासी पहाड़ियों के बीच बसे कोंगथोंग गांव में भी एक अनोखी परंपरा है। यहां के गांव वाले एक दूसरे को आम नाम से नहीं, बल्कि सिटी बजाकर या ‘धुन’ के माध्यम से बुलाते हैं। सुनने में यह अजीब लग सकता है, लेकिन है सौ फीसद सच। दरअसल आज के इस संचार क्रांति के युग में भी कोंगथोंगवासियों ने संवाद की अपनी अनूठी व प्राचीन परंपरा को संरक्षित रखा है। इस अजीब परंपरा के कारण कोंगथोंग को ‘व्हिसलिंग विलेज’ का दर्जा प्राप्त है।

शिलांग से 56 किलोमीटर दूर अवस्थित काेंगथोंग की आबादी 750 है। इन सभी 750 ग्रामीणों को बुलाने के लिए अलग-अलग धुनें हैं। इस धुन को स्थानीय भाषा में ‘जिंगरवाई लाबेई’ कहते हैं। यहां सीटी बजाकर बुलाने की परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। यहां के 25 वर्षीय बखियन लिनरा कहते हैं कि गांव में जब बच्चे का जन्म होता है तो मां अपने बच्चे के लिए धुन निकालती है और यही धुन उस बच्चे का नाम हो जाती है।


नई बहुओं को होती है परेशानी

कोंगथोंग के ही ब्रिंज खोंजी कहते हैं कि शादी के बाद गांव आने वाली बहुओं को ये ‘धुन’ समझने में परेशानी होती है। लिहाजा बहुओं को प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि समय के साथ वो भी खुद को इस परंपरा में ढाल सकें। बखियन बताता है कि गांव के किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ ही उससे संबंधित धुन भी मर जाती है।

ग्रामीण पर्यटन का नमूना बना गांव

खेती और पर्यटन गांव वालों का मुख्य पेशा है। प्राकृतिक सुंदरता और अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए मशहूर कोंगथोंग को यूएनडब्ल्यूटीओ सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव की सूची में शामिल कर चुका है। अपने गांव को ग्रामीण पर्यटन का एक बेहतरीन उदाहरण बताते हुए ग्रामीण होमी खोंगशिट कहते हैं कि हर दिन यहां औसतन 20 पर्यटक आते हैं। पर्यटकों के लिए गांव में गेस्ट हाउस और होम स्टे की भी सुविधा है। 2013 में बनी ‘इंडीजेनस एग्रो टूरिज्म कोऑपरेटिव सोसायटी’ गांव के विकास में योगदान देती है। ओडीएफ घोषित कोंगथोंग में जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (जी), एमजीएनआरईजीए जैसी केन्द्रीय योजनाओं के साथ मेघालय सरकार की विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन होता दिखा। गांव में चार स्कूल और एक हेल्थ सेंटर है।


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कोंगथोंग में फिल्मों की शूटिंग कराना चाहते हैं सांसद सिन्हा

कोंगथोंग सहित पड़ोस के तीन गांव गोद ले चुके राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि यहां कोंगथोंग के साथ 12 गांवों का एक सैटेलाइट विलेज बन चुका है। यहां की श्रमशक्ति का उपयोग करते हुए इन सभी गांवों को विकसित किया जा रहा है। सांसद सिन्हा की कोशिश कोंगथोंग में अब बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग कराने की है। वे चाहते हैं कि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह इलाका फिल्म शूटिंग के मामले में कश्मीर के समानांतर खड़ा हो। कोंगथोंग की खासियत बताते हुए उन्होंने बताया कि यह गांव तंबाकू मुक्त, प्लास्टिक मुक्त, फास्टफूड मुक्त और धार्मिक झगड़ों से मुक्त हो चुका है।

Created On :   21 Nov 2023 8:09 PM IST

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