स्वतंत्रता अमृत महोत्सव समिति रघुवीर खेड़कर और नंदेश उमप शामिल

Sangamner - Independence Amrit Mahotsav Samiti included Raghuveer Khedkar and Nandesh Umap
स्वतंत्रता अमृत महोत्सव समिति रघुवीर खेड़कर और नंदेश उमप शामिल
संगमनेर स्वतंत्रता अमृत महोत्सव समिति रघुवीर खेड़कर और नंदेश उमप शामिल

डिजिटल डेस्क, संगमनेर। महाराष्ट्र सरकार ने  भारतीय स्वतंत्रता अमृत महोत्सव के लिए कला और साहित्य के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति का गठन किया है। इस समिति में लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ ही संगमनेर के रघुवीर खेड़कर और नंदेश उमप को भी शामिल किया गया है।ज्ञात हो कि, अमृत महोत्सव के संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया था। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के आयोजन को लेकर मुंबई के मंत्रालय में एक बैठक हुई। इस बैठक में लिए निर्णय के अनुसार 15 अगस्त 2023 तक प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

समिति में शामिल सदस्य

महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित स्वतंत्रता अमृत महोत्सव समिति में संगमनेर के रघुवीर खेड़कर और नंदेश उमप के साथ ही स्वर कोकिला लता मंगेशकर, आशा भोसले, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, ए.आर. रहमान, अजय-अतुल द्वय, जब्बार पटेल, रोहिणी हट्टंगड़ी, मंगला बनसोडे, प्रकाश खांडगे और मुंबई विश्वविद्यालय के लोक कला अकादमी के प्रमुख गणेश चंदनशिवे का भी इस कमेटी में चयन हुआ है.  
तमाशा कलाकारों को प्रोत्साहन की जरूरत

अपने चयन पर रघुवीर खेडकर ने कहा, "हम तमाशगीरों ने समय-समय पर अपनी कला के माध्यम से देश व समाज की सेवा की है।  अब सरकार ने हमें यह विशेष जिम्मेदारी दी है। हम देश की आजादी का अमृत पर्व फिर से मनाएंगे। खेड़कर ने कहा कि, तमाश संस्कृति विलुप्त होने की कगार पर है, इसलिए सरकार को चाहिए कि, तमाशा कलाकालों को आर्थिक रूप से संरक्षण प्रदान कर उनका पुनर्विकास किया जाए।

नए कलाकारों को अपनी विरासत भूलना नहीं चाहिए : उमप

नन्देश उमप ने कहा कि, संगमनेर एक कला नगरी है. हमें अपनी कला और समाज के प्रति प्रेम है. कोरोना काल में हम जैसे कलाकारों ने भी लोगों में महामारी के प्रति जनजागृति में अपनी भूमिका निभाई हैं। उमप ने कहा कि, नए कलाकारों को पुरानी बातों को नहीं भूलना चाहिए. साथ ही सरकार को भी चाहिए कि, वे हम जैसे कलाकारों के लिए कोई ठोस नीति बनाए। विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वालों का मानदेय कम है। इसलिए सरकार को गंभीरता से इस बारे में विचार करना चाहिए।
 

Created On :   22 Oct 2021 9:40 PM IST

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