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सरकारी अस्पताल में कराएं प्रसव, मिलेगा लाभ- सीएमओ
डिजिटल डेस्क, बलिया। रतसड़ कुर्क निवासी सरस्वती देवी का मानना है कि घरेलू प्रसव की तुलना में अस्पतालों में प्रसव कराने से जच्चा-बच्चा दोनों की अच्छी देखभाल हो जाती है। अगर बच्चा घर पर पैदा होता है तो संक्रमित होने की आशंका रहती है। वहीं माता और शिशु को समय से टीका भी लग जाता है। वहीं सागरपाली निवासी करिश्मा वर्मा की राय है की सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव का होना अति आवश्यक है चाहे वह सरकारी अस्पताल में हो या निजी अस्पतालों में। किसी भी अस्पताल में माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिए बेहतर प्रशिक्षित लोग और संसाधन उपलब्ध रहता है। यह राय सिर्फ सरस्वती या करिश्मा की नहीं है बल्कि जनपद की अधिकांश आबादी की है।जो घरेलू नुस्खे, परंपरा और भ्रान्ति से आगे बढ़कर सोचने लगी है और सिर्फ जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर विश्वास कर रही है। यह लोग न सिर्फ विश्वास करते हैं बल्कि अपना व अपने लोगों का इलाज भी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर करवाते है।
अधिकारियों की राय :
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नीरज कुमार पाण्डेय ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग का लगातार प्रयास है कि जिले की अधिकाधिक महिलाएं संस्थागत प्रसव से लाभान्वित हों। इससे मातृ मृत्यु-दर एवं शिशु मृत्यु-दर में कमी आएगी। साथ ही संस्थागत प्रसव वाले मामलों की महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ मिल सकेगा। सीएमओ ने कहा कि हालांकि पिछले दो वर्षों के दौरान कोविड संक्रमण के कारण संस्थागत प्रसव का ग्राफ गिरा था लेकिन इस साल संस्थागत प्रसव के प्रति रुझान काफी बढ़ा है.
जिला कार्यक्रम प्रबन्धक आर बी यादव ने बताया कि सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना संचालित कर रही है। सरकारी अस्पताल पर प्रसव कराने में ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूताओं को 1400 रुपये व शहरी क्षेत्र की प्रसूताओं को 1000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है।
वर्षवार संस्थागत प्रसव:-
2019-2020 (अप्रैल- जनवरी) में 32503
2020-2021 (अप्रैल- जनवरी) में 30788
2021- 2022 (अप्रैल-जनवरी) में 27561
फरवरी से मई 2022 तक 10842
संस्थागत प्रसव:-
संस्थागत प्रसव का तात्पर्य चिकित्सा संस्थान में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य टीम के पर्यवेक्षण में एक बच्चे को जन्म देना है। जहां माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, चिन्हित उप केंद्रों एवं जिला महिला अस्पताल में कुशल डॉक्टर व प्रशिक्षित स्टाफ की देखरेख में प्रसव होता है। किसी भी जटिल परिस्थिति से निपटने में आसानी रहती है। साथ ही निःशुल्क दवाईयों और उपकरणों की मौजूदगी, बच्चे की जटिलता पर तुरंत चिकित्सीय सुविधा, संक्रमण का खतरा न रहना, खून की कमी पर पूर्ति की सुविधा आदि रहती है। प्रसव बाद बच्चे को सांस नहीं आ रही या धीमी आ रही है तो सिक न्यूबार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
Created On :   15 Jun 2022 5:53 PM IST